आज मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा और आरती का करें पाठ

शारदीय नवरात्रि का पूजन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में होता है। इस साल नवरात्रि का पूजन 07 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक किया जाएगा।

Update: 2021-10-07 03:39 GMT

शारदीय नवरात्रि का पूजन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में होता है। इस साल नवरात्रि का पूजन 07 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक किया जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन नवदुर्गा के प्रथम रूप मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा गया है। मां शैलपुत्री माता पार्वती का ही एक रूप हैं। मां शैलपुत्री श्वेत वस्त्र धारण कर, नंदी को अपनी सवारी बनती हैं। उनके एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में कमल है। मां शैलपुत्री को स्नेह, करूणा, धैर्य और इच्छाशक्ति की देवी माना जाता है। आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा और आरती....

मां शैलीपुत्री की पौराणिक कथा
देवी भागवत पुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया। उसमें सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा लेकिन अपने ही जमाता भगवान शिव और पुत्री सती को नहीं बुलाया। देवी सती भगवान शिव के मना करने के बाद भी पिता के यज्ञ समारोह में चली गई। वहां पर अपने पति भगवान शिव के अपमान से नाराज हो कर,उन्होंने यज्ञ का विध्वंस कर दिया। यज्ञ में अपनी आहूति देकर आत्मदाह कर लिया था। इससे कुपित हो कर भगवान शिव ने दक्ष का वध कर, महासमाधि धारण कर ली। देवी सती ने पर्वतराज हिमालय के घर में देवी पार्वती या माता शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया। कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पुनः पति के रूप में प्राप्त किया।
माता शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल पर सवार, करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।।


Tags:    

Similar News

-->