आज रमा एकादशी व्रत,जानें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है.

Update: 2021-11-01 02:36 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के 11वें दिन एकादशी व्रत रखा जाता है. ऐसे में आज रमा एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. विष्णु जी के योग निद्रा से बाहर आने से पूर्व की अंतिम एकादशी होने से इसका अधिक महत्व होता है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है. रमा मां लक्ष्मी का ही एक नाम है. पुराणों के अनुसार, रमा एकादशी व्रत को करने से कामधेनु और चिंतामणि के समान फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में सुख-समृ्द्धि भी बढ़ती है. मां लक्ष्मी भी व्रत करने वाले व्यक्ति से प्रसन्न हो जाती हैं और उनकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं. पद्म पुराण के मुताबिक, जो व्यक्ति रमा एकादशी का व्रत करता है उस पर विष्णु जी की कृपा हमेशा बनी रहती है.

रमा एकादशी व्रत का योग व समय
1 नवंबर की रात 09 बजकर 05 मिनट तक इंद्र योग रहेगा. इस स्थिति में इस साल रमा एकादशी का व्रत इंद्र योग में रखा जाएगा. ज्योतिष शास्त्र में इंद्र योग को मांगलिक कार्यों के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन सुबह 07 बजकर 56 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट तक राहुकाल रहेगा. राहुकाल को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ समय में गिना जाता है.
रमा एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि 31 अक्टूबर की सुबह 02 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होकर 1 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 21 मिनट तक रहेगी. व्रत पारण का शुभ समय 2 नवंबर, मंगलवार को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से सुबह 08 बजकर 56 मिनट तक है.
रमा एकादशी पूजा-विधि
-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
-घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
-भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें.
-भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें
-अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
-भगवान की आरती करें.
-भगवान को भोग लगाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है.
-भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं.
-इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें.
-इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.
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