हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं जो कि भोलेनाथ की पूजा आराधना को समर्पित होते हैं लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि भगवान शिव की पूजा के लिए उत्तम दिन होता हैं इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए दिनभर का उपवास रखते हैं और विधि विधान से पूजा भी करते हैं माना जाता हैं कि ऐसा करने से शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।
अभी सावन का महीना चल रहा हैं और इस बार अधिकमास सावन में पड़ा हैं ऐसे में सावन के अधिकमास का प्रदोष व्रत बेहद ही खास हैं जो कि आज यानी 30 जुलाई दिन रविवार को किया जा रहा हैं रविवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता हैं इस दिन शिव की पूजा अगर संपूर्ण विधि के साथ की जाए तो भगवान अपनी कृपा सदैव भक्तों पर करते हैं, ऐसे में आज हम आपको शिव पूजा की विधि बता रहे हैं।
रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि—
आपको बता दें कि सावन अधिक मास के प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद व्रत का संकल्प करें और पूजन स्थल की अच्छी तरह से सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें। अब पूजन स्थल पर दीपक जलाएं फिर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें। इसके बाद प्रदोष काल में शिव की विधि विधान से पूजा करें।
भगवान को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिश्रित पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद भोलेबाबा को बेलपत्र, भांग, धतूरा, मिष्ठान अर्पित करें। इस दिन शिव स्तोत्र का पाठ जरूर करें अंत में प्रभु की आरती कर भूल चूक के लिए क्षमा मांगे और अपनी प्रार्थना भगवान से कहें।