आज है बुध प्रदोष व्रत, शुभ मुहूर्त और व्रत विधि जानिए व्रत के लाभ

हर महीने की कृष्ण और शुक्ल की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन भोलेनाथ की आराधना की जाती है।

Update: 2020-10-14 05:34 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हर महीने की कृष्ण और शुक्ल की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन भोलेनाथ की आराधना की जाती है। प्रदोष व्रत का नाम दिन के अनुसार तय किया जाता है। जिस दिन यह व्रत आता है उसी दिन के नाम पर इस व्रत का नाम होता है। जैसे इस बार इस बार यह व्रत बुधवार को पड़ रहा है ऐसे में इस बार इस व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। त्रयोदशी तिथि पर रात्रि के प्रथम प्रहर को प्रदोष काल कहा जाता है। आसान भाषा में समझा जाए तो दिन छिपने के बाद शाम के समय को प्रदोष काल कहते हैं । मान्यता है कि अगर व्यक्ति यह व्रत करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही दरिद्रता से भी मुक्ति मिलती है।

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:

यह अधिकमास का आखिरी प्रदोष व्रत है। आश्विन मास के कृष्ण त्रयोदशी तिथि का आरंभ 11:51 मिनट से होगा। इसका समापन 15 अक्टूबर को 08:33 मिनट पर होगा।

बुध प्रदोष व्रत की विधि:

इस दिन सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।

इसके बाद भगवान शंकर का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।

इसके बाद शिव शंकर की पूजा करें।

पूजा स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएं।

फिर भगवान शिव का अभिषेक गंगाजल से करें।

शिवजी को पुष्प अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप आदि अर्पित करें।

फिर ओम नम: शिवाय का जाप सच्चे मन से करें।

इसके बाद शिव चालीसा और आरती का जाप भी करें।

इसके बाद सभी घरवालों को प्रसाद बांटें।

बुध प्रदोष व्रत के लाभ:

इस व्रत को करने से भोलेशंकर बेहद प्रसन्न हो जाते हैं। इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शिवजी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को हर तरह के कष्टों और दुखों से मुक्ति दिलाते हैं।

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