आज विशेष योग के साथ शुरू होगी गुप्त नवरात्रि.....जानिए घटस्थापना का शुभ समय

हर साल में दो बार गुप्त नवरात्रि आती है. इसकी पूजा तंत्र मंत्र करने वालों के लिए विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है. आज बुधवार से गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है. यहां जानिए घट स्थापना का शुभ समय और अन्य जरूरी बातें.

Update: 2022-02-02 03:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। साल में 4 नवरात्रि होती हैं, इनमें से दो गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) होती हैं. पहली गुप्त नवरात्रि माघ के महीने में पड़ती है और दूसरी आषाढ़ माह में होती हैं. गुप्त नवरात्रि पर मां दुर्गा के दस महाविद्या स्वरूपों की पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में माता रानी की गुप्त रूप से साधना की जाती है. इस बार गुप्त नवरात्रि आज 2 फरवरी से शुरू हो रही है. गुप्त नवरात्रि पर दो शुभ योग रवियोग और सर्वार्थसिद्धि (Sarvartha Siddhi Yoga) योग भी बन रहे हैं, इस कारण गुप्त नवरात्रि की महत्ता (Importance of Gup Navratri) कहीं ज्यादा बढ़ गई है. जानिए गुप्त नवरात्रि से जुड़ी खास बातें.

ये है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
माघ माह के गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि 01 फरवर 2022 को सुबह 11:15 बजे शुरू होगी और 02 फरवरी बुधवार को सुबह 08:31 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के हिसाब से व्रत की शुरुआत 2 फरवरी 2022, दिन बुधवार को होगी. घट स्थापना शुभ मुहूर्त- सुबह 07 बजकर 10 मिनट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. अति शुभ समय 08:02 मिनट तक है.
तंत्र मंत्र की सिद्धि करने वाली नवरात्रि
गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली नवरात्रि माना गया है. तंत्र साधना वालों के लिए ये नौ दिन विशेष रूप से फलदायी माने जाते हैं. इस नवरात्रि में तंत्र जादू-टोना सीखने वाले साधक कठिन भक्ति कर माता को प्रसन्न करते हैं. मान्यता है कि इस नवरात्रि में की जाने वाली विशेष पूजा से तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं. गुप्त नवरात्रि की पूजा भी गुप्त रूप से की जाती है. पूजा, मंत्र, पाठ और प्रसाद सभी चीजों को गुप्त रखा जाता है, तभी साधना फलित होती है.
इन दस महाविद्याओं की होती है पूजा
गुप्त नवरात्रि पर दसमहाविद्याओं की पूजा की जाती है. इनके नाम हैं मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी. इस बार गुप्त नवरात्रि आठ दिन की पड़ रही है. ये 2 फरवरी से शुरू होगी और 10 फरवरी को इसका समापन होगा.
ये है पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा या व्रत का संकल्प लें. कलश स्थापना से पहले मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें. इसके बाद मिट्टी के पात्र में जौ के बीज को बोएं और उसके बाद कलश रखकर स्थापना करें. गुप्त नवरात्रि के दौरान सात तरह के अनाज, पवित्र नदी के रेत, पान, हल्दी, सुपारी, चंदन, रोली, रक्षा धागा, जौ, कलश, फूल, अक्षत और गंगाजल से पूजन करें.


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