आज चंपा षष्ठी का व्रत,जानें चंपा षष्ठी की पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में
आज चंपा षष्ठी का व्रत है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज चंपा षष्ठी का व्रत है, जिसे बैंगन छठ (Baigan Chhath) भी कहा जाता है. हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी का व्रत रखा जाता है. चंपा षष्ठी के दिन भगवान शिव के खंडोबा (Lord Khandoba) स्वरूप की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. इस दिन पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है. इस वर्ष रवि योग में चंपा षष्ठी का व्रत रखा जाएगा. आज 09 दिसंबर को रवि योग सुबह 07:02 बजे से लेकर रात 09:51 बजे तक है. शिव आराधना के लिए मुहूर्त नहीं देखा जाता है, लेकिन राहुकाल में पूजा करना वर्जित होता है. इस दिन राहुकाल दोपहर 01:31 बजे से दोपहर 02:49 बजे तक है. आइए जानते हैं चंपा षष्ठी की पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में.
चंपा षष्ठी पूजा विधि
प्रात:काल स्नान आदि के बाद आपको चंपा षष्ठी के व्रत एवं भगवान शिव की पूजा का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप की पूजा विधिवत करें. आप चाहें तो इस दिन शिवलिंग का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें. फिर बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, धतूरा, बैंगन, बाजरा, फल, सब्जियां, हल्दी आदि अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव की आरती करें. आप चाहें तो भगवान शिव के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं.
चंपा षष्ठी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, दो राक्षस मल्ला और मानी थे. उन दोनों ने पृथ्वी पर उत्पात मचा रखा था. उससे हर कोई परेशान था. पृथ्वीवासियों ने क्रमश: ब्रह्मा जी और विष्णु जी से मदद मांगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. तब वे अंत में भगवान शिव के पास गए. उनसे मल्ला और मानी के अत्याचार से मुक्ति की प्रार्थना की
उनकी बातें सुनने के बाद भगवान शिव ने पराक्रमी योद्धा खंडोबा का अवतार लिया. उनका रूप अत्यंत डरावना था और उनके पूरे मुख पर हल्दी लगा था. भगवान खंडोबा और राक्षस मल्ला एवं मानी के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया. भगवान खंडोबा जब मानी का वध करने लगे तो उसने शिव जी को अपना श्वेत घोड़ा दिया और वर मांगा. उसने कहा कि जहां भी भगवान खंडोबा की पूजा होगी, वहां पर उसकी भी मूर्ति होगी.
वरदान के कारण ही भगवान खंडोबा के साथ मानी भी पूजा जाता है. यह देखकर मल्ला ने भी क्षमा याचना करते हुए पूरे संसार को नष्ट कर देने का वरदान मांगा. तब भगवान खंडोबा ने उसका सिर काट दिया और कहा कि आज से जब भी लोग खंडोबा के मंदिर में आएंगे तो मल्ला का सिर उनके पैरों से रौंदा जाएगा. इस प्रकार से भगवान खंडोबा ने लोगों को राक्षस मल्ला और मानी के अत्याचार से मुक्ति दिलाई. उसके बाद से भगवान खंडोबा किसानों के देवता बन गए. महाराष्ट्र और कर्नाटक में भगवान खंडोबा के मंदिर हैं.