आज सूर्यदेव की पूजा के बाद जरूर पढ़ें ये आरती और दुर्लभ मंत्र, खुल जाएगी किस्मत का ताला

हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित माना गया है. भक्त आज सुबह सूर्य उदय के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे और तन और मन के स्वस्थ रहने की प्रार्थना करेंगे.

Update: 2021-06-13 05:02 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित माना गया है. भक्त आज सुबह सूर्य उदय के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे और तन और मन के स्वस्थ रहने की प्रार्थना करेंगे. कुछ भक्तों ने आज सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखा है. व्रती सूर्यदेव की पूजा अर्चना के बाद सूर्यदेव की आरती (Surya Dev Aarti) और मंत्रों का पाठ करेंगे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव की आराधना से मानसिक बल और जीवन शक्ति बढ़ती है. सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है. यह मनुष्य के जीवन में मान-सम्मान, पिता-पुत्र और सफलता का कारक माना गया है. कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए रविवार के दिन व्रत करना अच्छा माना जाता है. इससे जातक के मान सम्मान में वृद्धि हाती है. कार्यों में भी सफलता प्राप्त होती है. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्यदेव की आरती और दुर्लभ मंत्र (Surya Dev Mantra). यह मंत्र राष्ट्रवर्द्धन' सूक्त से लिया गया और इसका जप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है...

सूर्य देव आरती:
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
सूर्यदेव का दुर्लभ मंत्र:
उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।
यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।
सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।
यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।


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