धनतेरस के दिन निरोग रहने के लिए भगवान धन्वंतरि का करें पूजन, जाने
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. इस दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा जरूर करनी चाहिए. ऐसा करने से परिवार स्वस्थ और निरोगी रहता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। धनतेरस के दिन से दीपों के पंचदिवसीय त्योहार का आगाज होता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान धन्वंतरि का भी जन्म हुआ था. भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं और भगवान विष्णु का अंश हैं. तेरस तिथि के दिन धन्वंतरि के जन्म के कारण ही इस दिन को धनतेरस कहा जाता है.
माना जाता है कि यदि धनतेरस के दिन विधिपूर्वक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाए तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. ऐसे में परिवार के लोग निरोगी रहते हैं. इस बार धनतेरस का पर्व 2 नवंबर को मंगलवार के दिन पड़ रहा है. यहां जानिए भगवान धन्वंतरि की की पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त और अन्य जानकारी.
ये है पूजा विधि
सबसे पहले भगवान धन्वंतरि की पूजा करने के लिए उनकी तस्वीर को ऐसे स्थापित करें कि आपका मुंह पूजा के दौरान पूर्व की ओर रहे. इसके बाद हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें और भगवान धन्वंतरि का आवाह्न करें. इसके बाद तस्वीर पर रोली, अक्षत, पुष्प, जल, दक्षिणा, वस्त्र, कलावा, धूप और दीप अर्पित करें. इसके बाद नैवेद्य चढ़ाएं और भगवान धन्वंतरि के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद आरती करें और दीपदान करें.
इन मंत्रों से करें जाप
1. ॐ श्री धनवंतरै नम:
2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धनवंतराये:,
अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय,
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप,
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री अष्टचक्र नारायणाय नमः
3. ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः,
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम,
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम,
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम.
शाम को जरूर करें दीपदान
धनतेरस के दिन शाम को दीपदान जरूर करना चाहिए. इसका जिक्र स्कंद पुराण और पद्मपुराण में भी किया गया है. ये दीपदान यमदेवता के नाम पर किया जाता है. इससे परिवार के लोगों की रक्षा होती है. इस दीपक को घर के मुख्य द्वार की दहलीज पर रखा जाता है. शाम को सूर्यास्त के बाद जब घर पर सभी सदस्य मौजूद हों, तब इस दीपक को घर के अंदर से जलाकर लाएं और घर से बाहर उसे दक्षिण की ओर मुख करके नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दें. इसके बाद 'मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह, त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति' मंत्र बोलें और दीपक पर जल छिड़कें. इसके बाद दीपक को बगैर देखे घर में आ जाएं.
ये है दीपदान का शुभ समय
धनतेरस के दिन दीपदान और पूजन का अतिशुभ समय शाम 5 बजे से 06:30 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा शाम 06:30 मिनट से रात 08:11 मिनट का समय भी पूजा और दीपदान के लिए शुभ है.