विष्णु जी की कृपा पाने के लिए जया एकादशी के दिन जरूर करें ये उपाय
12 जनवरी को जया एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा-उपासना की जाती है।
12 जनवरी को जया एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जया एकादशी करने से अश्वमेघ यज्ञ के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती है। इस दिन विधि-विधान पूर्वक माता लक्ष्मी और भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए। एकादशी व्रत के कठोर नियम हैं। इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है। वहीं, विष्णु जी की कृपा पाने के लिए जया एकादशी के दिन ये उपाय जरूर करें। आइए जानते हैं-
एकादशी के दिन तुलसी का पौधा लगाना शुभ होता है। इसके लिए मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी का पौधा जरूर लगाएं। एक चीज का ध्यान रखें कि तुलसी का पौधा पूर्व की दिशा में लगाएं।
-एकादशी को गेंदे का फूल लगाना भी शुभ होता है। साधक घर के उत्तर दिशा में गेंदे का फूल लगा सकते हैं।
-धार्मिक मान्यता है कि आंवले के पौधे में भगवान विष्णु जी वास करते हैं। अतः मोक्षदा एकादशी के दिन घर पर आंवले का पौधा लगाएं।
-एकादशी के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुरूप दान जरूर दें।
-ज्योतिषों की मानें तो एकादशी के दिन घर या घर के छत पर पीला ध्वजा जरूर लगाएं।
-एकादशी के दिन तुलसी दल युक्त खीर बनाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें।
-मोक्षदा एकादशी के दिन गरीबों को पीले रंग का वस्त्र, अन्न और पीले रंग की आवश्यक वस्तुएं भेंट करें।
एकादशी की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।