देव सेनापति कार्तिकेय की कृपा पाने के लिए इस मंत्र करे जाप

धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से दीर्घायु और प्रतापी संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रती के जीवन से दुःख-दरिद्रता दूर हो जाती है।

Update: 2022-02-06 06:10 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  हिंदी पंचांग के अनुसार, 6 फरवरी, 2022 को देर रात 3 बजकर 46 मिनट पर स्कन्द षष्ठी शुरु होकर अगले दिन 7 फरवरी, 2022 को प्रात: काल 4 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन शास्त्र में उदया तिथि मान होता है। अत: 6 फरवरी को स्कन्द षष्ठी मनाई जाएगी। इस दिन देवों के सेनापति भगवान कार्तिकेय संग स्कंदमाता की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से दीर्घायु और प्रतापी संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रती के जीवन से दुःख-दरिद्रता दूर हो जाती है। महिलाएं सुख, सौभाग्य समेत संतान प्राप्ति की कामना हेतु स्कन्द षष्ठी करती हैं। इस दिन दक्षिण भारत में विशेष पूजा-उपासना की जाती है। खासकर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलांगना समेत श्रीलंका में भी स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। भगवान कार्तिकेय का आह्वान किया जाता है। यह पर्व हर माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि स्कन्द षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ है।

1.
'ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात'
2.
ॐ शारवाना-भावाया नम:
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा,
देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते
3.
स्कंद माता का कवच –
ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयंपातुसा देवी कातिकययुताघ्
श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।
सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदाघ्
वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतुघ्
इन्द्राणी भैरवी चौवासितांगीचसंहारिणी।
सर्वदापातुमां देवी चान्यान्यासुहि दिक्षवैघ्।
भगवान कार्तिकेय की आरती:
जय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।


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