राहु केतु के कुप्रभाव से बचने के लिए इन मंत्रों का जाप करे

4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण है। यह साल का अंतिम सूर्य ग्रहण है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। इस समय राहु और केतु की बुरी छाया पृथ्वी पर पड़ती है।

Update: 2021-11-29 03:49 GMT

4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण है। यह साल का अंतिम सूर्य ग्रहण है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। इस समय राहु और केतु की बुरी छाया पृथ्वी पर पड़ती है। इसके चलते समस्त पृथ्वी वासी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ज्योतिषों की मानें तो राहु-केतु की बुरी दृष्टि के चलते बने काम भी बिगड़ जाते हैं। इसके लिए सूर्य ग्रहण के समय में धार्मिक कार्य नहीं करने का विधान है। साथ ही खाने-पीने की भी मनाही है। खासकर गर्भवती महिलाओं को विशेष ख्याल रखना पड़ता है। वहीं, सूर्य ग्रहण के दौरान राहु-केतु की बुरी दृष्टि से बचने के लिए इन मंत्रों का जाप करें।

आइए जानते हैं-
1.
तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥
राहु और केतु के आह्वान और उनसे शांति प्रदान करने की कामना हेतु इस मंत्र का जाप किया जाता है। शास्त्रों में निहित है कि राहु-केतु की बुरी दृष्टि पड़ने पर व्यक्ति के जीवन में अस्थिरता आ जाती है। इसके लिए ग्रहण के दौरान मंत्रोच्चारण जरूर करें।
2.
"विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥
इस मंत्र के जाप से बुरी शक्तियों का नाश होता है। ज्योतिषों की मानें ग्रहण काल में मंत्र जाप से साधक राहु-केतु के प्रकोप से सुरक्षित रहता है।
3.
ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय
जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा।।
इस मंत्र जाप से व्यक्ति पर पड़ने वाली नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। साथ ही व्यक्ति को शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। शत्रु पर विजय पाने के लिए सूर्य ग्रहण के दौरान इस मंत्र का एक माला जरूर जाप करें।
4.
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं मले कमलालये
प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।
इस मंत्र के जाप से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। ऐसे में ग्रहण के दौरान इस मंत्र का जरूर जाप करें। इस मंत्र के पुण्य फल से धन की प्राप्ति होती है।

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