हजारों साल पुराना अनोखा शिवलिंग, यहां औरंगजेब ने भी मान ली थी हार अमेठी के बिल्वेश्वर महादेव में विराजमान है
धर्म अध्यात्म : बिल्वेश्वर महादेव मंदिर के पीछे लगभग दो किलोमीटर की परिधि में बना टीला राजा का किला हुआ करता था. राजाओं द्वारा इस शिवलिंग पर भव्य विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया था, लेकिन औरंगजेब ने मंदिर को तहस-नहस कर दिया था. अमेठी के बिल्वेश्वर महादेव में विराजमान है हजारों साल पुराना अनोखा शिवलिंग, यहां औरंगजेब ने भी मान ली थी हार अमेठी के जामो थाना क्षेत्र के दखिनवारा गांव में अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर श्री बिल्वेश्वर महादेव है. अमेठी के जामो थाना क्षेत्र के दखिनवारा गांव में अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर श्री बिल्वेश्वर महादेव है. इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है. यह शिव मंदिर अत्यंत प्राचीन है. इसका निर्माण 1669 ईस्वी में कराया गया था. इस मंदिर में लोग जो मुरादें लेकर आते हैं, वह पूरी हो जाती हैं. सावन महीने में यहां मेला लगता है. लोग यहां पर भोलेनाथ का जलाभिषेक करने आते हैं. इस प्राचीन मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना बताया जाता है. जब इस मंदिर की महानता को जानने के लिए दखिनवारा गांव के राज वंशज परिवार के बाबू गुरु प्रसाद सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि हमने अपने पूर्वजों से सुना था कि इस मंदिर का निर्माण हमारे पूर्वजों ने कराया था. औरंगजेब ने 40 फीट तक खुदवाया, पर नहीं मिला शिवलिंग का ओर-छोर लगभग 1669 ईस्वी में जब सभी मंदिर विध्वंस करने का आदेश दिया था तो औरंगजेब यहां भी आया था, जिसकी क्रूरता की गाथा मूर्तियों के कटे सिर, हाथ, पैर सुनाते हैं. औरंगजेब ने मूर्तियों को काट कर रख दिया था. यहां मंदिर में जो बड़ा शिवलिंग है, उसके आसपास 40 फीट तक औरंगजेब ने खुदवाया, लेकिन शिवलिंग का आखरी छोर नहीं मिला. इस दौरान औरंगजेब को समाचार मिला कि उसके घर में कोई बीमार है. ये सुनकर उसने शिवलिंग पर कई बार प्रहार किए, लेकिन इसे ध्वस्त नहीं कर सका. आखिरकार थक हारकर वह यहां से चला गया. क्या हैं
अमेठी के बिल्वेश्वर महादेव की मान्यताएं यहां के पुजारियों ने बताया कि जब औरंजेब ने हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, उस समय औरंगजेब इस मंदिर में आया था. उसने मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया, लेकिन वह असफल रहा. औरंगजेब की क्रूरता इन मंदिरों में देखने को मिलती है. शिवलिंग पर उसके द्वारा तलवार से किए गए प्रहार के आज भी निशान देखने को मिलते हैं. कई खंडित मूर्तियां मंदिर में विराजमान हैं. उनका मानना है कि शिवलिंग द्वापर युग में पाण्डवों द्वारा अज्ञातवास के समय स्थापित किया गया था. औरंगजेब ने किले पर आक्रमण कर मंदिर में की थी लूटपाट मंदिर के पीछे लगभग दो किलोमीटर की परिधि में बना टीला राजा का किला हुआ करता था. राजाओं द्वारा इस शिवलिंग पर भव्य विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया था. हालांकि यहां राजा भर्र के राज्य को समाप्त कर क्षत्रियों का आधिपत्य हो गया. आज भी दखिनवारा में एक छोटे से रियासत के क्षत्रिय वंशज रहते हैं.
मुगल वंश के क्रूर शासक औरंगजेब ने जब किले पर आक्रमण किया तो उसने सबसे पहले मंदिर को लूटा और फिर पूरी तरह से तहस नहस कर दिया. मूर्तियों को भी क्षति पहुंचाई, जिसके अवशेष आज भी मंदिर परिसर में विद्यमान हैं. मुगल काल के बाद अंग्रेजी शासन में हिन्दुओं द्वारा मंदिर का पुनः निर्माण कराया गया, जो आज तक विद्यमान है. इस दिन लगता है मेला इसी गांव के रहने वाले राम केवल त्रिपाठी बताते हैं कि श्री बिल्वेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध इस धाम पर प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेला लगता है. सावन के महीने में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. सच्चे मन से भक्त जो भी मुरादे लेकर आते हैं, उसे पूरा होने में देर नहीं लगती है. सावन महीने में यहां पर हर दिन शंकर जी की कथा भी होती है. इनकी मुरादें हुईं पूरी दाखिनवारा गांव के रहने वाले राम सागर त्रिपाठी, जो कि पेशे से अध्यापक हैं. बताते हैं कि हम खुद ही एक नजीर हैं कि बचपन में हमे कुछ पंडितों ने बताया था कि हमारी उम्र सिर्फ 30 वर्ष ही है. तब से हम इस मंदिर में हमेशा पूजा-अर्चना करने जाते हैं, आज हम 60 साल के हो गए हैं. श्री बिल्वेश्वर महादेव की कृपा से सब काम ठीक ठाक चल रहा है. जब भी कोई सामास्या आई है, भगवान बिल्वेश्र्वर भोलेनाथ की कॄपा से सब ठीक हो गया.