इस साल कजरी तीज सुकर्मा और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी.
सावन और भाद्रपद मास तीज व्रत के लिए जाने जाते हैं. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (Kajari Teej) मनाई जाती है.
सावन और भाद्रपद मास तीज व्रत के लिए जाने जाते हैं. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (Kajari Teej) मनाई जाती है. कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज भी कहते हैं. कजरी तीज मुख्यत: उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाता है. कजरी तीज व्रत भी अखंड सौभााग्य की कामना से रखा जाता है. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कजरी तीज की तिथि, पूजा मुहूर्त आदि के बारे में.
कजरी तीज 2022 तिथि मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 13 अगस्त को देर रात 12 बजकर 53 मिनट पर प्रारंभ हो रही है. यह तिथि अगले दिन 14 अगस्त को रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर कजरी तीज 14 अगस्त दिन रविवार को मनाई जाएगी.
सुकर्मा और सर्वार्थ सिद्धि योग में कजरी तीज
कजरी तीज के दिन सुकर्मा योग प्रात:काल से लेकर देर रात 01 बजकर 38 मिनट तक है, वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग रात 09 बजकर 56 मिनट से अगले दिन 15 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 50 मिनट तक है. ऐसे में देखा जाए तो इस साल कजरी तीज सुकर्मा और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी. कजरी तीज के दिन का शुभ समय 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक है.
कजरी तीज पूजा विधि
सुहागन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं. शुभ मुहूर्त में महिलाएं मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाती हैं. उनको पीले या लाल रंग के कपड़े वाले चौकी पर स्थापित करती हैं. उसके बाद भगवान शिव को गंगाजल, गाय का दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, फल, चंदन, शहद, धूप, दीप आदि चढ़ाया जाता है.
उसके पश्चात माता पार्वती को अक्षत्, लाल फूल, सिंदूर, कुमकुम, सिंदूर, महावर, मेहंदी, चूड़ी, चुनरी, साड़ी, फल, 16 श्रृंगार की सामग्री आदि अर्पित करते हैं. उसके बाद कजरी तीज व्रत कथा सुनते या पढ़ते हैं. पूजा का समापन भगवान शिव और माता पार्वती की आरती से करते हैं. आरती के लिए घी के दीपक का उपयोग करते हैं.सोर्स न्यूज़ 18