Guru Pradosh Vrat 2024 Katha: गुरु प्रदोष व्रत के दिन जरूर सुनें ये कथा, वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं होंगी दूर
Guru Pradosh Vrat 2024 Katha: चांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर, दिन गुरुवार को सुबह 6 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और 29 नवंबर, दिन शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, प्रदोष व्रत 28 नवंबर, दिन गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन गुरुवार होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा गया है.| गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है. इस व्रत को करने से न केवल भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन की कई समस्याओं का समाधान भी मिलता है. विशेषकर विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन इस कथा को सुनने से मनोकामनाएं पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है. विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने में यह कथा बहुत कारगर है. इस कथा को सुनने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मन को शांत करती है. साथ ही आत्मिक शांति प्रदान करती है|
गुरु प्रदोष व्रत कथा | Guru Pradosh Vrat Katha
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार इन्द्र और वृत्रासुर की सेना में भयंकर युद्ध हुआ. देवताओं ने दैत्य-सेना को पराजित कर नष्ट-भ्रष्ट कर डाला. यह देख वृत्रासुर अत्यन्त क्रोधित हुआ और स्वयं युद्ध करने लगा. आसुरी माया से उसने विकराल रूप धारण कर लिया और देवताओं की सेना आक्रमण शुरू कर दिया. जिससे सभी देवता भयभीत होकर गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहूंचे. बृहस्पति महाराज बोले- पहले मैं तुम्हे वृत्रासुर का वास्तविक परिचय दे दूं|
गुरुदेव बृहस्पति ने कहा कि वृत्रासुर बड़ा तपस्वी और कर्मनिष्ठ है. उसने गन्धमादन पर्वत पर घोर तपस्या कर शिव जी को प्रसन्न किया है. पूर्व समय में वह चित्ररथ नाम का राजा था. एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत चला गया. वहां शिव जी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देख वह उपहास पूर्वक बोला- हे प्रभो! मोह-माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं. किन्तु देवलोक में ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि स्त्री आलिंगनबद्ध हो सभा में बैठे|
चित्ररथ के यह वचन सुन सर्वव्यापी शिव शंकर हंसकर बोले- हे राजन! मेरा व्यावहारिक दृष्टिकोण पृथक है. मैंने मृत्युदाता कालकूट महाविष का पान किया है, फिर भी तुम साधारण जन की भांति मेरा उपहास उड़ाते हो. माता पार्वती क्रोधित हो उठी और चित्ररथ से कहा कि अरे दुष्ट! तूने सर्वव्यापी महेश्वर के साथ ही मेरा भी उपहास उड़ाया है|
इसलिए मैं तुझे वह दंड दूंगी कि फिर तू ऐसे संतों के उपहास का दुस्साहस नहीं करेगा, अब तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से नीचे गिर, मैं तुझे शाप देती हूं. जगदम्बा भवानी के अभिशाप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हो गया और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन्न हो वृत्रासुर बना|
गुरुदेव बृहस्पति आगे बोले- वृत्तासुर बाल्यकाल से ही शिव भक्त रहा है. अतः हे इन्द्र तुम बृहस्पति प्रदोष व्रत कर शंकर भगवान को प्रसन्न करो. देवराज ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया. गुरु प्रदोष व्रत के प्रताप से इन्द्र ने शीघ्र ही वृत्रासुर पर विजय प्राप्त कर ली. जिसके बाद देवलोक में शान्ति छा गई|
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का सबसे अच्छा समय होता है. इस दिन भगवान शिव की कथा सुनने से मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं और विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं. इसलिए प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय इस कथा को अवश्य सुनें. भगवान शिव आपकी कामना जल्दी ही पूरी कर देंगे|