इस वर्ष होलाष्टक 22-28 मार्च तक हैं।जानिए मांगलिक कार्य करना वर्जित क्यों है

शास्त्रों के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा गया है।

Update: 2021-03-15 11:53 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | शास्त्रों के अनुसारशास्त्रों के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा गया है।के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा गया है। इस साल होलाष्टक 22-28 मार्च तक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान शादी-विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, भवन निर्माण और नया व्यवसाय आदि मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों पर रोक होने के पीछे ज्योतिषीय व पौराणिक दोनों ही कारण माने जाते हैं।

पौराणिक कथा-

पौराणिक कथा के अनुसार, कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। इससे नाराज होकर उन्होंने प्रेम के देवता को फाल्गुन की अष्टमी तिथि के दिन भस्म कर दिया था। इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने शिव की अराधना की और कामदेव को पुर्नजीवित करने की याचना की, जो उन्होंने स्वीकार कर ली। भगवान शिव के इस निर्णय को भक्तों ने धूमधाम से बनाया था। इसी कारण 8 दिन शुभ कार्य वर्जित होते हैं।

ज्योतिषीय कारण-

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव के होते हैं। ग्रह-नक्षत्र के कमजोर होने के कारण इस दौरान जातक की निर्णय क्षमता कम हो जाती है। जिससे गलत फैसले से हानि की संभावना रहती है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त-

इस बार होली मार्च 28, 2021 को दोपहर 03:27 बजे शुरू होगी और फिर मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे समाप्त होगी। 28 मार्च को शाम को होलिका दहन होगा। होलिका दहन का मुहूर्त कुल 2 घंटे 20 मिनट का है। होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को शाम 18:37 से 20:56 से बीच किया जाना शुभ रहेगा।


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