आने वाले हैं माता के नवरात्रे, कहीं मां दूर्गा के पंडाल सजेंगे तो कही भी डांडिया नाइट का आयोजन किया जाएगा. मंदिरों में भी नवरात्रि पर्व का महा आयोजन किया जाता है. माता वैष्णों देवी के मंदिर से लेकर दक्षिण भारत के तिरुवनंतपुरम के आट्टुकाल भगवती मंदिर तक हर कहीं माता के जयकारों की गूंज सुनायी देती है. हर साल माता के नवरात्रे किस दिन शुरु होते हैं इससे ये तय होता है कि माता का आगमन किस सवारी में होगा. माता जिस सवारी में सवार होकर आती है उससे आने वाले साल की भविष्यवाणी की जाती है. इस साल नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो रही है.
भाग्वत पुराण के एक श्लोक में ऐसा लिया है...
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता।।
देवीभाग्वत पुराण के इस श्लोक में बताया गया है कि माता का वाहन क्या होगा यह दिन के अनुसार तय होता है. अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो रहा है तो माता का आगमन हाथी पर होगा. शनिवार और मंगलवार को माता के नवरात्र शुरु होंगे तो उनका आगमन घोड़े पर होगा. गुरुवार और शुक्रवार से अगर नवरात्र शुरु होते हैं तो माता आगमन डोली में होता है. जबकि बुधवार को नवरात्र का आरंभ होने पर माता का वाहन नाव होती है.
नवरात्रि में मां की सवारी क्या है?
इस बार 15 अक्टूबर 2023 को रविवार के दिन से नवरात्रों की शुरुआत होगी. अगर नवरात्रि रविवार से शुरु होते हैं तो माता का आगमन हाथी पर होता है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, माता का आगमन जिस वर्ष हाथी पर होता है उससे माना जाता है कि माता अपने साथ खूब सारी खुशियां, ज्ञान और समृद्धि लेकर आयी हैं. देश में धन धान्य में बढ़ोतरी होती है और साथ ही अनाज के भंडारे भी भर जाते हैं. ये इस बात का भी संकेत होता है कि इस बार वर्षा से फसलों की पैदावार भी अच्छी होगी. इतना ही नहीं नवरात्रों की शुरुआत रविवार से होती है तो ऐसा माना जाता है कि आने वाले समय में चारों ओर हरियाली का माहौल रहेगा और जीवन में सबके उन्नति और तरक्की देखने को मिलेगी.