महाशिवरात्रि पर बन रहा है ये खास योग, भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए इस विधि से करें पूजा

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.

Update: 2022-02-16 18:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Maha Shivratri 2022 Pujan Vidhi: भोले के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व (Mahashivratri 2022) साल का सबसे पड़ा त्योहार है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि इस बार 1 मार्च, 2022 मंगलवार के दिन पड़ रही है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiv) और माता पार्वती (Mata Parvati) की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.

इस बार महाशिवरात्रि बेहद खास है क्योंकि इस दिन पंचग्रही योग बन रहा है. मान्यता है कि अगर इन शुभ संयोग में शिव जी की पूजा की जाए तो हर मनोकामना की पूर्ति होती हैं और भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है.

बन रहा है ये दुर्लभ संयोग

ज्योतिषीयों के अनुसार महाशिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिध योग रहेगा. फिर धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा. इसके अलावा परिध योग और शिव योग रहेगा. कहते हैं कि ये योग शत्रु पर विजय दिलाने में बहुत अहम होते हैं. साथ ही, ये भी मान्यता है कि इन नक्षत्रों में की गई पूजा का कई गुना ज्यादा फल मिलता है.

महाशिवरात्रि पर मकर राशि में पंचग्रही योग बन रहा है. इस दिन मंगल, शनि, बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे. लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी. राहु वृषभ राशि, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा. यह ग्रहों की दुर्लभ स्थिति है और खासी लाभकारी है.

महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त और पूजन विधि (Mahashivratri Puja Muhurat And Pujan Vidhi)

फाल्गुल मास के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली महाशिवारात्रि का पूजा मुहूर्त 1 मार्च सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. फिर दोपहर 02:07 से 02:53 तक विजय मुहूर्त. शाम 05:48 से 06:12 तक गोधूलि मुहूर्त होगा. पूजा या शुभ कार्य करने के लिए अभिजीत और विजय मुहूर्त को श्रेष्‍ठ माना जाता है.

बता दें कि शिवरात्रि के दिन शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें. चंदन का तिलक लगाएं. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और वस्‍त्र आदि अर्पित करें. शिव जी के समुख दीप जलाएं और केसर युक्त खीर का भोग लगाएं. ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय, रूद्राय शम्भवाय भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें.

Tags:    

Similar News

-->