सर्व पितृ अमावस्या 11 साल बाद बन रहा ये खास योग, जाने महत्व और उपाय

सर्व पितृ अमावस्या पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन होता है। इसे विसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं।

Update: 2021-10-06 01:57 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सर्व पितृ अमावस्या पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन होता है। इसे विसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं। इस साल सर्व पितृ अमावस्या 06 अक्टूबर, बुधवार को है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि परिजनों को ज्ञात नहीं होती है। आश्विन मास में पड़ने वाली सर्व पितृ अमावस्या के दिन इस साल विशेष संयोग बन रहा है। जानिए शुभ मुहर्त, विशेष संयोग और तर्पण की विधि-

सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग-
इस साल सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग बन रहा है। इससे पहले यह योग 11 साल पहले 2010 में बना था। गजछाया योग को बेहद शुभ माना जाता है। 06 अक्टूबर को सूर्योदय से सूर्य और चंद्रमा शाम 04 बजकर 34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में होंगे। इस स्थिति के कारण गजछाया योग बनता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गजछाया योग में श्राद्ध या तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं। कहते हैं कि इस योग में श्राद्ध और दान करने से पितरों की क्षुधा अगले 12 सालों के लिए शांत हो जाती है। अब ये योग 8 साल बाद 2029 में बनेगा।
सर्व पितृ अमावस्या के दिन करें ये उपाय-
सर्व पितृ अमावस्या के दिन गजछाया योग बन रहा है। इस दिन गजछाया योग में पितरों का श्राद्ध करें और घी मिली हुई घी का दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर अगले 12 सालों तक तृप्त हो जाते हैं। इसके अलावा गरीबों व जरुरतमंदों को दान देना चाहिए। मान्यता है कि अन्न और वस्त्र के दान से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।


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