पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं ये पावन शिव धाम, जानिए इनका महत्व
सावन का पावन महीना चल रहा है। इस दौरान भक्त घी, फल, फूल, मक्खन, शहद, जल, गंगाजल आदि शिव जी की प्रिय चीजों से उनकी पूजा करते हैं
सावन का पावन महीना चल रहा है। इस दौरान भक्त घी, फल, फूल, मक्खन, शहद, जल, गंगाजल आदि शिव जी की प्रिय चीजों से उनकी पूजा करते हैं। मान्यता है कि विभिन्न प्रकार के शिवलिंग की पूजा करने से अलग-अलग फल मिलता है। वहीं देशभर में अलग-अलग शिव मंदिर के साथ पांच तत्व (अग्नि, जल, वायु, धरती व आकाश) पर आधारित शिवलिंग पर स्थापित है। साथ ही इनका अपना अलग ही महत्व है। चलिए जानते हैं भोलेनाथ के पांच तत्व मंदिरों के बारे में...
एकंबरनाथ मंदिर- पृथ्वी तत्व
भोलेनाथ का एकंबरनाथ मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। कहा जाता है कि यहां पर स्थापित शिवलिंग बालू का है। इसका संबंध पृथ्वी तत्व माना जाता है। साथ ही इनका जल, दूध आदि से अभिषेक नहीं किया जाता है। भगवान शिव के इस मंदिर में सिर्फ तेल का छींटा दिया जाता है।
जम्बूकेश्वर मंदिर- जल तत्व
भगवान शिव का जम्बूकेश्वर मंदिर तमिलनाडु के त्रिचिरापल्ली में स्थित है। इस मंदिर का संबंध जल से माना जाता है। स्थानीय लोग इस मंदिर को थिरुवन्नाईकावल के शिव मंदिर के नाम से पूजते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में शिव जी की पूजा करने से इस जन्म के साथ पूर्वजन्मों के पापों से भी मुक्ति मिलती है। मंदिर में भोलेनाथ की जंबुकेश्वर और माता पार्वती को अकिलंदेश्वरी के रूप में पूजा की जाती है। यहां पूजा करने से बल, बुद्धि का विकास होता है। इसके साथ ही विवाह व संतान से जुड़ी मनोकामना भी जल्दी ही परी होती है।
अन्नामलाई मंदिर- अग्नि तत्व
भगवान शिव को समर्पित अन्नामलाई मंदिर अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है। यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में स्थित है। मंदिर में शिवलिंग का आकार गोलाई लिए हुए चौकौर रुप में है। साथ ही शिवलिंग की ऊंचाई करीब 3 फीट है। इस मंदिर में भगवान शिव को अर्धनारीश्वर स्वरूप में पूजा जाता है। इसलिए भोलेनाथ व माता पार्वती का श्रृंगार बेहद मनमोहक नजर आता है।
श्रीकालहस्ति मंदिर- वायु तत्व
भोलेनाथ का वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाला श्रीकालहस्ति मंदिर आंध्र प्रदेश के जिले चित्तुर के काला हस्ती में है। भगवान शिव का यह पावन मंदिर उंचाई वाली पहाड़ी पर स्थापित है। मंदिर में शिवलिंग की ऊंचाई करीब 4 फिट है। मगर शिवलिंग पर जल चढ़ाने की मनाही है। मगर मंदिर में एक अलग शिला स्थापित है, जहां पर भक्त जल चढ़ाते हैं। कहा जाता है कि भोलेनाथ के प्रिय भक्तों में से कनप्पा नामक शिकारी ने अपने दोनों नेत्रों को निकालकर शिव जी को समर्पित किए थे। तब कनप्पा की इस भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मोक्ष दिया था। शिव जी के इस पावन मंदिर में पूजा करने के लिए पुरुषों को धोती पहनकर ही प्रवेश मिलता है।
चिदंबरम नटराज मंदिर- आकाश तत्व
भोलेनाथ का चिदंबरम नटराज मंदिर आकाश तत्व का प्रतिनिधत्व करता है। शिव जी की समर्पित यह मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम शहर में स्थित है। यहां पर भगवान शिव की नृत्य करते हुए मूर्ति स्थापित है। शिव जी के ठीक पास ही माता पार्वती की मूर्ति है।