यह पावन व्रत, मनोवांछित फल प्रदान करता है पूर्वजों को मिलता, मोक्ष

भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी या पद्मा एकादशी कहा जाता है

Update: 2021-09-17 01:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी या पद्मा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु निंद्रा में करवट लेते हैं। करवट बदलने से भगवान का स्थान परिवर्तन होता है, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। परिवर्तिनी एकादशी को वामन एकादशी, जलझूलनी एकादशी, डोल ग्‍यारस और जयंती एकादशी आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन व्रत, पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

इस व्रत में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा के साथ सात्विकता का पालन करना चाहिए। इस दिन स्वयं पर संयम रखें। पूरा दिन पूजा-पाठ में लगाएं। यह व्रत मां लक्ष्मी का शुभ व्रत है, इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस दिन भाषा में कठोर शब्दों का इस्तेमाल न करें। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना फलदायी है और शाम को सोने से परहेज करना चाहिए। इस दिन जरूरतमंदों को दान दें। इस दिन गंगा स्नान अवश्य करें। एकादशी के दिन व्रत रखने से धन, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इस व्रत से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से पूवजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र धोये थे। इसी कारण इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। इस व्रत में रात्रि जागरण अवश्य करना चाहिए। एकादशी पर पूरे दिन व्रत कर अगले दिन द्वादशी तिथि को प्रात: काल अन्न से भरा घड़ा ब्राह्माण को दान देना चाहिए। भगवान श्री हरि विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। उपवास के दिन झूठ बोलने और दूसरों की आलोचना से बचें।
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