आज के दिन ऐसे करें भगवान दत्तात्रेय की पूजा, शिवजी भी होंगे भक्तों पर मेहरमान जानें इनकी शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय की जयंती पूरे हर्ष और उल्लास के साथ देश में मनाई जाती है.
जनता से रिश्ता बेवङेस्क मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय की जयंती पूरे हर्ष और उल्लास के साथ देश में मनाई जाती है. आपको यह भी बता दें कि शैव संप्रदाय के लोग इन्हें भगवान शिव का रूप तो वहीँ वैष्णव संप्रदाय के लोग इन्हें भगवान विष्णु का रूप मानते हैं. जबकि वहीँ कुछ लोग भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु
और महेश (शिव) तीनों का ही स्वरूप मानते हैं. भगवान दत्तात्रेय को नाथ संप्रदाय का अग्रज भी माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय जी का पृथ्वी पर अवतरण मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रदोष काल में हुआ था. भगवान दत्तात्रेय के कुल तीन सिर और छः भुजाएं है. भगवान दत्तात्रेय की गणना विष्णु के 24 अवतारों में से छठवें स्थान पर की जाती है. ऐसा भी कहा जाता है भगवान दत्तात्रेय सर्वव्यापी है औए ये संकट के समय अपने भक्तों पर बहुत जल्दी कृपा करते हैं.
शुभ मुहूर्त:
दत्तात्रेय जयंती: 29-12-2020 दिन मंगलवार.
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत- सुबह 07 बजकर 54 मिनट से.
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 08 बजकर 57 मिनट पर.
पूजा विधि:
भगवान दत्तात्रेय की जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लेना चाहिए.
पूजा करने के स्थान को सबसे पहले साफ कर गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए. इसके बाद उस स्थान पर एक चौकी रख कर उस पर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या तस्वीर रखकर और उस पर फूल-माला चढ़ाकर पूजा करना चाहिए.
भगवान दत्तात्रेय के साथ ही साथ भगवान विष्णु और भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए.
पूजा करने के बाद श्री दत्तात्रेय स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए. यदि संभव हो तो पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए उपवास भी रखना चाहिए. ऐसा करने से भगवान दत्तात्रेय अपने भक्त के ऊपर प्रसन्न होते हैं और भक्त के कष्ट दूर करते हैं.