इस दिन मनाई जाएगी मई माह की पहली एकादशी...जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

वैशाख के कृष्णपक्ष की एकादशी वरूथिनी के नाम से प्रसिद्ध है. यह इस लोक और परलोक में भी सौभाग्य प्रदान करने वाली है.

Update: 2021-05-05 05:14 GMT

वैशाख के कृष्णपक्ष की एकादशी वरूथिनी के नाम से प्रसिद्ध है. यह इस लोक और परलोक में भी सौभाग्य प्रदान करने वाली है. वरूथिनी के व्रत से सदा सौख्य का लाभ तथा पाप की हानि होती है. यह सबको भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली है. वरूथिनी (Varuthini Ekadashi 2021) के व्रत से मनुष्य दस हजार वर्षो तक की तपस्या का फल प्राप्त कर लेता है. इस साल वरूथिनी एकादशी व्रत 7 मई 2021 यानी शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. आइए जानते हैं इस व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि-

वरूथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त 
वरूथिनी एकादशी शुक्रवार, मई 7, 2021 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ – मई 06, 2021 को 02:10 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – मई 07, 2021 को 03:32 पी एम बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 05:35 ए एम से 08:16 ए एम
वरुथिनी एकादशी महत्व 
यह व्रत उत्तम फल देने वाला है. इस व्रत को करने से सुख तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है. मान्यता है कि जो फल ब्राह्मणों को देने, तपस्या करने और कन्यादान करने से प्राप्त होता है, उससे कहीं अधिक फल इस एकादशी व्रत को करने से होता है.
इस व्रत को जो भी व्यक्ति करता है उसे परनिन्दा से बचना चाहिए, दातुन नहीं तोड़नी चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए और झूठ तो कतई नहीं बोलना चाहिए. इस व्रत में तेल से बना भोजन वर्जित होता है. व्रत रखने पर शाम को केवल फलाहार ही करना चाहिए. इस व्रत का माहात्म्य सुनने से हजार दोष भी खत्म हो जाते हैं.
वरुथिनी एकादशी व्रत विधि 
वरुथिनी एकादशी व्रत से पहले कांस, उड़द, मसूर, चना, कोदो, शाक, मधु, किसी दूसरे का अन्न, दो बार भोजन तथा काम क्रिया इन दस बातों का त्याग करना चाहिए. एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन कर भजन कीर्तन करना चाहिए. द्वादशी के दिन पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए. इसलिए दक्षिणा देकर विदा करने बाद स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिए. एकादशी के व्रत में सोना, पान खाना, दांतुन, दूसरे की बुराई, चुगली, चोरी, हिंसा, काम क्रिया, क्रोध तथा झूठ का त्याग करना चाहिए.

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