इस दिन है यशोदा जयंती, जानें पूजा विधि और महत्व
हिंदी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यशोदा जयंती मनाई जाती है। इस प्रकार, फाल्गुन माह में 22 फरवरी को यशोदा जयंती है। इस दिन मां यशोदा की पूजा-उपासना की जाती है।
हिंदी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यशोदा जयंती मनाई जाती है। इस प्रकार, फाल्गुन माह में 22 फरवरी को यशोदा जयंती है। इस दिन मां यशोदा की पूजा-उपासना की जाती है। मां यशोदा के नाम श्रवण से मन में ममता की प्रतिमूर्ति प्रकाशित हो जाती है। ज्योतिषों का कहना है कि मां यशोदा स्वंय में संपूर्ण हैं। उनके नाम का अभिप्राय यश देना है। मां यशोदा स्वंय संतोषी रूप धारण कर दूसरे को सुख और सौभाग्य देती हैं। अतः भगवान श्रीकृष्ण ने मां यशोदा को अपनी माता रूप में चुना। इससे मां यशोदा का जीवन भी धन्य हो गया। धार्मिक मान्यता है कि मैया यशोदा की पूजा करने वाले साधक को सुख, सौभाग्य और वैभव की प्राप्ति होती है। साधक के जीवन में व्याप्त सभी परेशानियां दूर हो जाती है। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण साधक का मार्ग प्रशस्त करते हैं। अतः यशोदा जयंती के दिन मैया की पूजा विधि-पूर्वक करनी चाहिए। आइए, यशोदा जयंती की पूजा विधि और महत्व जानते हैं-
महत्व
मां ममता का रूप होती हैं। उनकी कृपा समस्त लोक पर बरसती हैं। जब कभी माता के भक्तों पर विपदा आती है, तो माता चंडी रूप धारण कर दुष्टों का संहार करती हैं। वहीं, ममतामयी माता अपने भक्तों को सुख और सौभाग्य भी प्रदान करती हैं। यशोदा जयंती की तिथि को पूजा करने से मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं। अत: यशोदा जयंती को उत्स्व जैसा माहौल रहता है। मंदिरों और मठों को सजाया जाता है। कीर्तन-भजन का आयोजन किया जाता है। साथ ही झाकियां भी निकाली जाती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर आकर मां के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर सर्वप्रथम मां आदिशक्ति के यशोदा स्वरूप को स्मरण कर नमस्कार करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई कर दैनिक कार्यों से निवृत हो जाए। अब गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान कर नवीन वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात, आमचन कर अपने आप को पवित्र कर व्रत संकल्प लें। अब मां की स्तुति निम्न मंत्र से करें।
अब मां की पूजा फल, फूल, दूर्वा, सिंदूर, अक्षत, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि से करें। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि मां को प्रसाद में फल, हलवा, मिठाई आदि अवश्य भेंट करें। तत्पश्चात आरती और अपने परिवार के कुशल मंगल की कामना करें। दिन भर उपवास रखें और शाम में में आरती करने के बाद फलाहार करें।