इस दिन है 'मौनी अमावस्या', जानें शुभ मुहूर्त तथा विधि
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का खास महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था.
जनता से रिश्ता वेबडेसक | हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का खास महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था. दरअसल, माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या मनाई जाती है. इसे माघ अमावस्या भी कहा जाता है. इस बार मौनी अमावस्या 11 फरवरी 2021 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. पुराणों के अनुसार, देवतागण इस पवित्र दिन पर संगम में निवास करते हैं. यही वजह है कि मौनी अमावस्या को गंगा स्नान करने का खास महत्व है. इस दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद प्राप्त होती है.
आज हम आपको यहां मौनी अमावस्या से जुड़ी तमाम जानकारी दे रहे हैं.
मौनी अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
मौनी अमावस्या 10 फरवरी को रात में 01 बजकर 10 मिनट से शुरू हो जाएगी और 11 फरवरी को रात में 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इस खास दिन पर गंगा स्नान करने के बाद मौन व्रत का संकल्प अवश्य लें. इसके बाद भगवान विष्णु की पीले फूल, केसर, चंदन, घी का दीपक और प्रसाध से पूजन करें. साथ ही इस दिन विष्णु चालीसा या फिर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. इसके पश्चात किसी ब्राह्मण को दान भी दें. सायं काल में मंदिर में दीप दान करके आरती अवश्य करें और फिर भगवान विष्णु को मीठे पकवान का भोग लगाएं. इसके अगले दिन गाय को मीठी रोटी या हरा चारा खिलाकर ही व्रत खोलें.
मौनी अमावस्या व्रत
मौनी अमावस्या के दिन नदी, सरोवर या फिर किसी पवित्र कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्ध्य दें. व्रत करने के पश्चात जितना संभव हो सके मौन रहें. निर्धन और भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं. साथ ही वस्त्र, अनाज, आंवला, तिल, कंबल, घी और गौशाला में गाय के लिए भोजन अवश्य दान करें. जिस तरह दूसरी अमावस्या के दिन आप पितरों को याद करते हैं, वैसे ही मौनी अमावस्या पर भी पितरों को याद करें. इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष मिलता है.
मौन रहने का महत्व
इस दिन मौन रहने का चलन है. कहते हैं मौन धारण करने के बाद व्रत का समापन करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है. इस दिन मौन रखने का मतलब है मन को संयमित रखना. इससे आपका आत्मबल बढ़ जाता है.