घर की समृद्धि में तेरह गुना वृद्धि, धनतेरस की खरीदारी

इस दिन समुद्र से भगवान धनवंतरी अमृत से भरा स्वर्ण कलश और स्वर्ण रजत आभूषणों के साथ प्रकट हुए थे।

Update: 2021-10-31 02:24 GMT

कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस का त्योहार समृद्धि प्रदान करता है। मान्यता है कि इस दिन समुद्र से भगवान धनवंतरी अमृत से भरा स्वर्ण कलश और स्वर्ण रजत आभूषणों के साथ प्रकट हुए थे। उनके प्राकट्योत्सव के रूप में इस पर्व का नाम धन त्रयोदशी या धनतेरस पड़ा। धनतेरस पर नए बर्तन, सोना, चांदी और आभूषणों को खरीदना शुभ माना गया है। मान्यता के अनुसार धनतेरस पर की गई खरीदारी से घर की समृद्धि में 13 गुना वृद्धि होती है।

धनतेरस का दूसरा महत्व दीपदान को लेकर है। धनतेरस पर संध्याकाल में दक्षिण दिशा की ओर दीप प्रज्ज्वलित करने से परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से रक्षा होती है। ज्योतिषविद् का कहना है कि धनतेरस पर स्थिर लग्न और शुभ चौघड़िया मुहूर्त में खरीदारी करना सबसे शुभ होता है। इस बार धनतेरस पर सुबह 8 से 10 बजे के बीच खरीदारी के लिए सबसे शुभ समय होगा। इसमें स्थिर लग्न (वृश्चिक) उपस्थित रहेगी, इसके बाद दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10:40 से दोपहर 1:30 के बीच होगा। इस समय में लाभ और अमृत के शुभ चौघड़िया मुहूर्त उपस्थित रहेंगे। इसके बाद दोपहर 1:50 से 3 बजे के बीच भी खरीदारी के लिए स्थिर लग्न का शुभ मुहूर्त होगा। संध्याकाल में 6:30 से रात्रि 8:30 के बीच स्थिर लग्न का शुभ मुहूर्त रहेगा। दोपहर में तीन बजे से 4:30 बजे के बीच राहुकाल रहेगा, इसलिए इस समय में खरीदारी से बचें।
धनतेरस पूजा-विधि
पूजास्थल पर चावल या गेहूं की छोटी ढेरी बनाकर उस पर देसी घी का एक दिया जलाकर रखें। माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए तीन बार श्रीसूक्त का पाठ करें। मां लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं को मिठाई या मीठे व्यंजन का भोग लगाएं और परिवार सहित इसे प्रसाद रूप में ग्रहण करें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।
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