आचार्य चाणक्य को भारत के महान विद्वान, अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और मार्गदर्शक के रूप में जाना जाता है. उन्होंने अपने नीति शास्त्र में जीवन की समस्याओं और उनके उन्मूलन की स्पष्ट व्याख्या की है.
ऐसा कहते हैं कि चाणक्य के नीति शास्त्र को जिस भी इंसान ने अपनाया है, उसने जीवन में कभी मात नहीं खाई है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ ऐसी चीजों का भी जिक्र किया है, जिन्हें गंदगी के ढेर में पड़ा देख उठा लेना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि कुछ चीजों का मोल गंदगी में पड़े रहने के बावजूद कभी कम नहीं होता है.
कीमती चीजें- चाणक्य कहते हैं, 'अगर आपको गंदगी में पड़ी कोई मूल्यवान चीज दिख जाए तो उसे फौरन उठा लेना उचित होता है. उदाहरण के लिए अगर आपको गंदगी में सोना या हीरा पड़ा दिख जाए तो उसे उठाने में बिल्कुल संकोच न करें. चाणक्य कहते हैं कि इन बेशकीमती चीजों का मूल्य किसी भी अवस्था में कम नहीं होता है.'
अच्छाई- चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि लोगों का स्वभाव हमेशा दूसरों में बुराई टटोलने का होता है. जो लोग बुराई में भी अच्छाई ढूंढ लेते हैं, उनकी बात अलग होती है. हर इंसान में अच्छे-बुरे गुण होते हैं. हमें हमेशा अच्छे गुण लेने चाहिए. जो लोग ऐसा करते हैं, वो जीवन में खूब तरक्की करते हैं, बड़ा नाम कमाते हैं.
रुपये पैसे- यदि किसी इंसान को गंदगी में रुपये-पैसे पड़े दिख जाएं तो उन्हें तुरंत उठा लेना चाहिए. गंदगी में धन के पड़े रहने से उसका अपमान होता है. धन हमारे जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए बहुत आवश्यक माना जाता है. सनातन धर्म में तो इसे माता लक्ष्मी का प्रतीक भी समझा जाता है. ऐसे में धन को गंदगी में यूं ही पड़ा छोड़कर आगे न बढ़ें.
चाणक्य का मंत्र- दुष्ट आदमी से बेहतर सांप
चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में सांप को दुष्ट व्यक्ति से बेहतर बताया है. चाणक्य कहते हैं कि अगर आपको दुष्ट इंसान या सांप में से किसी एक को चुनना हो तो सांप को चुनिए. सांप केवल तब घातक हो सकता है, जो उसे किसी से खतरा महसूस हो. लेकिन दुष्ट इंसान का स्वभाव ही दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाला होता है. ऐसे लोग हमेशा दूसरों को कष्ट देते हैं.
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