भगवान गणेश के हैं आठ स्वरूप...जाने सबके महत्व
हर महीने के शुक्ल पक्ष की अमावस्या या अमावस्या के चौथे दिन विनायक चतुर्थी मनाई जाती है.
हर महीने के शुक्ल पक्ष की अमावस्या या अमावस्या के चौथे दिन विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) मनाई जाती है. आज विनायक चतुर्थी है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी की पूजा- अर्चना होती है. इस दिन पूजा पाठ करने से भगवान गणेश सभी की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. हिंदू धर्म में किसी भी देवी- देवताओं से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है.
मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा होती है. क्योंकि भगवान गणेश सभी विघ्न को दूर करते हैं. इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है. हालांकि भगवान गणेश के कई स्वरूप और अनंत नाम है. गणेश जी के अनेक स्वरूपों में उपासना करने की परंपरा है.
मुद्रल पुराण के अनुसार, भगवान गणेश के कई अवतार हैं, जिनमें प्रमुख रूप से आठ अवतार है. मान्यता है कि हर अवतार का महत्व अलग- अलग असुरों का नाश करने के लिए हुआ था. इन अवतारों की पूजा- अर्चना करने से मन की अलग- अलग वृत्तियों पर नियंत्रण पा सकते हैं.
भगवान गणेश का पहला स्वरूप वक्रतुंड है. इस स्वरूप में भगवान गणेश ने मत्सरासुर का अहंकार भंग किया था.
भगवान गणेश का दूसरा स्वरूप एकदंत है. उन्होंने इसे स्वरूप में मदासुर को पराजित किया था.
प्रभु का तीसरा स्वरूप महोदर है. उन्होंने मोहासुर नाम के असुर का गर्व भंग किया था. यह ज्ञान का स्वरूप भी है.
चौथे स्वरूप में भगवान गणेश ने लोभासुर के अहंकार को भंग किया था. उनका ये सांख्य स्वरूप है.
भगवान गणेश का पांचवां स्वरूप लंबोदर है, जिसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है. इस स्वरूप में प्रभु ने क्रोधसुर को परास्त किया था.
भगवान गणेश का छठा अवतार विकट है. उन्होंने इस अवतार में कामासुर को परास्त किया था.
भगवान गणेश का सातवां स्वरूप विघ्नराज है. ये भगवान विष्णु का अवतार है. इस स्वरूप में ममतासुर का अहंकार नष्ट किया था.
भगवान गणेश का आठवां स्वरूप धूम्रवर्ण है. ये भगवान शिव का स्वरूप है. इस स्वरूप में अंहतासुर को परास्त किया था