महाशिवरात्रि पर प्रेम और शीघ्र विवाह के लिए अपनाए ये आसान उपाए
सदियां हो गईं लेकिन आज भी शिव-पार्वती के एक-दूसरे के प्रति प्रेम की पराकाष्ठा का उदाहरण दिया जाता है।
सदियां हो गईं लेकिन आज भी शिव-पार्वती के एक-दूसरे के प्रति प्रेम की पराकाष्ठा का उदाहरण दिया जाता है। अगर आप भी इन्हीं की तरह वास्तविक प्रेम को पाना चाहते हैं। तो महाशिवरात्रि के दिन आपको एक बेहतरीन अवसर मिलने वाला है। इस दिन प्रेम विवाह के इच्छुक जोड़े या फिर शीघ्र विवाह की कामना लिए हुए युवक-युवतियां यहां बताए गये ज्योतिषीय उपायों को अपना लें तो उनकी मनोकामनांए पूरी हो सकती हैं। आइए जान लें इन उपायों को… लेकिन ध्यान रखें कि ये उपाय तभी फलीभूत होते हैं जब इनके प्रति पूरी आस्था और समर्पण हो।
यदि आप किसी से प्रेम करते हैं और उन्हीं से विवाह करना चाहते हैं या फिर विवाह में देरी हो रही है। तो इस बार महाशिवरात्रि के दिन ऐसे मंदिर जाएं जहां शिव-पार्वती की मूर्तियां अगल-बगल हों। इसके बाद दोनों की संयुक्त रूप से पूजा करें। फिर लाल रंग की मौली लें। लेकिन ध्यान रखें कि मौली इतनी बड़ी हो कि उसे हाथ में लेकर सात बार शिव-पार्वतीजी की परिक्रमा करते हुए उसे बांधते चले जाएं। अगर परिक्रमा करने की जगह न हो तो एक ही स्थान पर खड़े होकर उन्हें सात बार मौली से बांध दें। अंत में देवी पार्वती से प्रार्थना करें कि वह आपकी मनोकामना पूरी करें।
महाशिवरात्रि के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनकर मंदिर जाएं। इसके बाद माता पार्वती को सुहाग की वस्तुएं लाल चूड़ा, लाल चुनरिया, लाल वस्त्र का जोड़ा, लाल फूल, मेंहदी, रोली, लाल रिबन, लाल रंग की सात चूड़ियां चढ़ाएं। साथ ही प्रार्थना करें कि जैसे उनको इतना प्रेम और सम्मान करने वाला जीवनसाथी मिला। वैसा ही पति मुझे भी मिले। इसके बाद रामचरित मानस में विशेष रूप से बाल कांड में वर्णित शिव-पार्वती विवाह से जुड़े प्रसंग को विधिपूर्वक पढ़ें। पूजा की समाप्ति पर क्षमा प्रार्थना जरूर कर लें।
अगर आप किसी से प्रेम करते हैं और उन्हीं से विवाह करना चाहते हैं। तो रामचरित मानस में वर्णित इस चौपाई 'तौ भगवानु सकल उर बासी। करिहि मोहि रघुबर कै दासी।। जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।' का महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती के समक्ष पाठ करें। यह भी एक अचूक उपाय है। यप्रसंग बालकांड का है। जहां श्रीरामजी को देखकरसीता जी उन्हीं से मन ही मन विवाह करने के लिए कामना लिए देवी पार्वती के मंदिर गईं। वहां इसी चौपाई को पढ़कर उन्होंने मां पार्वती से रघुबर को अपने वर के रूप में प्राप्त करने की कामना की।