भारतीय ज्योतिष में मान्यता है कि हर जातक के जीवन में 9 ग्रहों का असर होता है और इसका असर ग्रहों की स्थिति के अनुसार शुभ या अशुभ हो सकता है। जिस प्रकार शनि और राहु की महादशा होती है, ठीक उसी प्रकार केतु ग्रह की भी महादशा का असर जातक के जीवन पर होता है। केतु को छाया ग्रह माना जाता है ऐसे में सभी 12 राशियों के जीवन पर इसका असर जरूर होता है। राहु और केतु को पापी ग्रह माना गया है और कई बार ग्रहों की स्थिति ठीक होने पर इसके शुभ फल भी मिलते हैं। जानिए केतु की महादशा शुरु होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं और जीवन में अशांति आने पर क्या उपाय करना होते हैं -
पंचांग व ज्योतिष में मान्यता है कि केतु की महादशा 7 साल की होती है। इस अवधि में किसी जातक को इसके शुभ परिणाम देखने को मिलते हैं तो कुछ को अशुभ परिणाम भी देखने को मिलते हैं। अंतरदशा 11 महीने से सवा साल तक की होती है। केतु की महादशा बुध और शुक्र के बीच आती है। केतु की महादशा बुध और शुक्र के बीच आती है। ज्योतिष के अनुसार बुध की महादशा आती है फिर केतु की महादशा सात साल की होती है और बाद में शुक्र की महादशा 20 साल की होती है।