नई दिल्ली : धर्म में सभी देवी-देवता की पूजा का विशेष महत्व है। इनमें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और प्रभु भक्तों पर सदा कृपा बरसाते हैं। अतः उनके भक्तों को जीवन में किसी भी समस्या का सामना नहीं कर पड़ता। रोजाना पूजा के दौरान श्रीकृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाता है। प्रभु को सुंदर वस्त्र, बांसुरी, मुकुट और मोरपंख पहनाया जाता है। प्रभु का स्वरूप बेहद निराला है। क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान श्रीकृष्ण मोरपंख क्यों धारण करते हैं? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे विस्तार से।
मोरपंख धारण करनी की ये हैं वजह
भगवान श्रीकृष्ण ने मोरपंख धारण कर कई संदेश दिए हैं। मोरपंख पहनने की कई वजह हैं। भगवान श्रीकृष्ण के सिर पर मोरपंख का होना राधा से उनके अटूट प्रेम की निशानी मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि एक बार कान्हा बांसुरी बजा रहे थे, तब राधा नृत्य करनी लगीं। इस दौरान महल में मोर भी नाचने लगे। नृत्य के समय मोर का पंख नीचे गिर गया। उस मोरपंख को श्रीकृष्ण ने माथे पर लगाया। इसलिए मोरपंख को राधा के प्रेम के प्रतीक के रूप में माना गया है।
ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा मोरपंख धारण करने की एक वजह यह भी है क्योंकि उनकी कुंडली में कालसर्प दोष था। ऐसा माना जाता है कि मोरपंख धारण करने से कालसर्प दोष से छुटकारा मिलता है। इसलिए प्रभु कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए मोरपंख पहना।
भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा मोरपंख सजाने के पीछे की वजह यह भी है कि केवल मोर ही सिर्फ ऐसा पक्षी है, जो जीवन में सदैव ब्रह्मचर्य रहता है। ऐसा कहा जाता है कि मादा मोर नर मोर के आंसू के द्वारा गर्भ धारण करती है। इसलिए श्रीकृष्ण ब्रह्मचर्य पक्षी के पंख को धारण करते हैं।