ब्रज के बिना सावन नहीं, यहां हरियाली तीज पर सोने-चांदी के हिंडोलों में विराजमान होते हैं कान्हा

Update: 2024-08-05 03:39 GMT
ब्रज के बिना सावन नहीं, यहां हरियाली तीज पर सोने-चांदी के हिंडोलों में विराजमान होते हैं कान्हा
कान्हा के ब्रज में सावन शुरू होते ही भक्ति रस की अनूठी गंगा का शुरू हुआ प्रवाह तेज होने लगा है तथा हरियाली तीज से तो इसमें तरह तरह के हिंडोले हिचकोले लेने लगते हैं। द्वारकाधीश मन्दिर में तो सावन की शुरूआत से ही तरह तरह के आयोजन किये जाते है। ब्रज में कहावत है कि सावन के बिना ब्रज नहीं और ब्रज के बिना सावन नहीं। इसका सबसे पहले अनुभव सावन शुरू होते ही ब्रज के मशहूर द्वारकाधीश मन्दिर में देखने को मिलता है जब कि युगलस्वरूप को झूला झुलाने के लिए सोने चांदी के विशालकाय हिंडोले डाल दिए जाते हैं तथा श्यामाश्याम नित्य इस हिंडोले में झूलते हैं। ये हिंडोले पहले केवल सावन मास में ही पड़ते थे किंतु अब ये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक डाले जाते है। इस मन्दिर की दूसरी विशेषता इसमें सोने चांदी के हिंडोलो के साथ साथ वस्त्र, कांच, मोती , फल फूल , केला, काष्ठ आदि के हिंडोले अलग अलग तिथियों में डाले जाते है । सावन में द्वारकाधीश मन्दिर अलग अलग कलेवर में दिखाई पड़ता है। नाना प्रकार के हिंडोले बनाने के साथ सावन मांस का जीवन्त अनुभव कराने के लिए मन्दिर में घटा महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। मन्दिर के जन संपर्क एवं विधिक अधिकारी राकेश तिवारी ने बताया कि मन्दिर में श्रावण कृष्ण पक्ष की तेरस से घटाओं का बनना शुरू हो जाता है। जिस प्रकार से बादलों के रंग बदलते रहते हैं वैेसे ही मन्दिर में घंटाओं के रंग बदलते रहते हैं। पुराने केशव देव मन्दिर के सेवायत गौरव गोस्वामी ने बताया कि मन्दिर में हिंडोला एवं घटा महोत्सव की शुरूआत इसी रविवार से शुरू हो रही है। उनका कहना था कि सावन में मन्दिर का कोना कोना कृष्ण भक्ति से भर जाता है तथा मल्हार गायन भी होता है ''काली घटा उठी घनघोर रिमझिम बरसे पानी'' सावन में गोवर्धन परिक्रमा और चैरासी कोस परिक्रमा करने की होड़ मच जाती है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस माह में दोनो में से किसी परिक्रमा के करने से मोझ की प्राप्ति होती है।चैरासी कोस परिक्रमा में तो चातुर्मास में सभी तीर्थ विराजते है।
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