धर्म अध्यात्म: संस्कारधानी का इतिहास देवी मां के विभिन्न प्राचीन मंदिरों से जुड़ा हुआ है, फिर चाहे वह त्रिपुर सुंदरी मंदिर हो या फिर कात्यायनी मंदिर. जबलपुर के मढाताल क्षेत्र में देवी दुर्गा की एक अत्यंत मनमोहक प्रतिमा स्थापित है, जिसे बगलामुखी मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस सिद्ध मंदिर के विषय में ऐसी मान्यता है कि देवी मां के बगलामुखी स्वरूप का दर्शन करने से आपके सभी दुश्मनों का संहार हो जाता है, इसी कारण जबलपुर के भक्त देवी मैया का दर्शन करने रोजाना पहुंचते हैं.
मंदिर का नाम बगलामुखी कैसे पड़ा
जबलपुर के इस मंदिर का नाम बगलामुखी मंदिर है, पुरोहित जी बताते हैं कि प्राचीन काल में मढाताल का यह स्थान संस्कृत विद्या का प्रमुख केंद्र रहा, यहां पर हजारों संस्कृतविदों ने सालों तक मां बगलामुखी की तपस्या की, तत्पश्चात् आदि शंकराचार्य जी के जबलपुर भ्रमण के दौरान यह स्थान उन्हें दे दिया. जिसके बाद सन 2000 में यहां पर मां बगलामुखी की प्रतिमा स्थापित की गई. बगलामुखी के इस मंदिर में बगुले की एक प्रतिमा भी बनाई गई है जिसके नीचे विभिन्न शिवलिंग और देवी देवताओं का वास है.
इस बगलामुखी मंदिर में चारों तरफ हरियाली और शुद्ध वातावरण रहता है, जबलपुर के लोग रोज देवी दर्शन के बाद ही अपने सभी कार्य शुरू करते हैं, इस मंदिर में हनुमान जी की भी अत्यंत मनमोहक छवि स्थापित है और काफी बड़े क्षेत्र में इस बगलामुखी मंदिर का निर्माण कराया गया है.
देवी जी के मंदिर में नवरात्रि के दौरान संस्कारधानी वासियों के अलावा भी पूरे मध्यप्रदेश और भारत से श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है और सभी सुख शांति के लिए देवी की आराधना करते हैं. मां का विशेष श्रृंगार कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है, और उनकी विशेष आरती की जाती है.
दूर होते हैं ग्रह दोष
संस्कारधानी के बगलामुखी मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ-साथ पूरे 9 ग्रहों की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं, देवी के चारों ओर बने इन 9 ग्रहों की परिक्रमा करने से लोगों के सारे ग्रह दोष दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख और शांति का अनुभव होता है. बगलामुखी मंदिर के पुरोहित जी ने कहा- देवी के इस मंदिर में जो भी नारियल में पीला कपड़ा बांधकर अर्जी लगाता है देवी मैया और सभी 9 ग्रहों के प्रभाव से उसके सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.