दक्षिणावर्ती शंख घर में रखने से कभी खाली नहीं होगी तिजोरी
हिंदू धर्म में शंख का विशेष महत्व है. देवी-देवताओं की पूजा में शंख का विशेष स्थान होता है
हिंदू धर्म में शंख का विशेष महत्व है. देवी-देवताओं की पूजा में शंख का विशेष स्थान होता है. शास्त्रों में दक्षिणमुखी शंख को भगवान नारायण का रूप माना गया है. यह देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का प्रिय शंख है. देवी लक्ष्मी, माता दुर्गा और भगवान विष्णु के हाथों में दक्षिणमुखी शंख है. मान्यताओं के अनुसार, जिसका मुंह दक्षिण भाग की ओर खुलता है, उसे दक्षिणावर्ती शंख कहा जाता है. इसलिए दक्षिण की ओर देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और मां दुर्गा का वास होता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, दक्षिणमुखी शंख घर में रखना शुभ माना जाता है. इससे घर में सकारात्मक माहौल बना रहता है.
दक्षिणावर्ती शंख के प्रकार
भारत में दो प्रकार के दक्षिणावर्ती शंख पाए जाते हैं. पहला नर दक्षिणमुखी शंख और दूसरा मादा दक्षिणमुखी शंख. जिस शंख की परत मोटी और भारी होती है, उसे नर दक्षिणावर्त शंख कहते हैं. वहीं, जो शंख पतला और स्पर्श में हल्का होता है, उसे मादा दक्षिणावर्त शंख कहा जाता है. दक्षिणावर्ती शंख को घर में रखना शुभ माना जाता है. इसकी नियमित पूजा करने से भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
दक्षिणावर्ती शंख के लाभ
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, जिस घर में दक्षिण दिशा में शंख स्थापित होता है, उस घर में हमेशा देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. घर में हमेशा धन-समृद्धि का वास बना रहता है. वास्तु के अनुसार, यदि आप दक्षिणमुखी शंख की पूजा पूरे विधि-विधान से करते हैं, उसे लाल कपड़े में लपेटकर अपने घर में रखते हैं, तो आपके घर कभी भी धन की कम नहीं होगी. साथ ही घर के सभी वास्तुदोष से छुटकारा मिलेगा. दक्षिणावर्ती शंख को घर के मंदिर में दक्षिण दिशा में स्थापित करने से घर में नकारात्मक शक्तियों को प्रवेश नहीं होता. घर पर सुख-समृद्धि का वास होता है.