प्रभु श्रीराम और हनुमान जी का मिलन की कहानी हुई बहुत ही रोचक
प्रभु श्री राम ने अवतार ले लिया है, बस तभी से वे अपने भगवान के दर्शन की प्रतीक्षा करने लगे.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Story in Ramayana: हनुमान जी प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त थे, माता जानकी के लिए वे पुत्रवत थे. श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि जो निरंतर भगवान की कृपा की आतुरता से प्रतीक्षा करते हुए प्रारब्ध से मिले सुख-दुख को भोगते हुए हृदय, वाणी और शरीर से भगवान के नाम गुण का गान और पूजन करता है, वह मुक्तिपद का स्वतः ही अधिकारी हो जाता है. हनुमान जी तो जन्म से ही माया के बंधनों से सर्वथा मुक्त थे. उन्होंने बचपन में माता अंजना से बार-बार आग्रह कर अनादि रामचरित सुना था किंतु जब वे अध्ययन करने लगे तो वेद, पुराण आदि के साथ रामकथा को भी पढ़ा. किष्किंधा पर्वत में सुग्रीव के पास आने पर उन्हें ज्ञात हो गया कि अयोध्या में प्रभु श्री राम ने अवतार ले लिया है, बस तभी से वे अपने भगवान के दर्शन की प्रतीक्षा करने लगे.