रथ सप्तमी की कथा भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र से जुड़ी है, जाने

रथ सप्तमी को सूर्य की उपासना का दिन माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सूर्य की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति रोग मुक्त होता है. यहां जानिए रथ सप्तमी से जड़ी कथा के बारे में.

Update: 2022-01-30 04:03 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल बसंत पंचमी (Basant Panchami) के बाद सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. इसे सूर्य देव के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन ही कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म हुआ था. सूर्य देव अपने सात घोड़े वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे. इस कारण ये दिन रथ सप्तमी (Ratha Saptami) के नाम से जाना जाता है. रथ सप्तमी के दिन को लोगों को रोग मुक्त करने वाला और पुत्र कामना की पूर्ति करने वाला भी माना जाता है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र भी रथ सप्तमी के दिन ही सूर्य का ​तप करने के बाद रोग मुक्त हुए थे. इस कारण इस दिन को आरोग्य सप्तमी (Arogya Saptami) और पुत्र सप्तमी (Putra Saptami) के नाम से भी जाना जाता है. इस बार रथ सप्तमी 7 फरवरी 2022 को मनाई जाएगी. इस मौके पर जानिए रथ सप्तमी की व्रत कथा और महत्व के बारे में.

ये है व्रत कथा
रथ सप्तमी के दिन की कथा भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब से जुड़ी हुई है. कथा के अनुसार एक बार सांब को अपने शारीरिक बल पर बहुत अभिमान हो गया. सांब कभी भी किसी का भी अपमान कर देता था. एक दिन दुर्वासा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए, तो वो काफी दुर्बल नजर आ रहे थे. सांब ने जैसे ही उसे देखा तो मजाक बनाना शुरू कर दिया. दुर्वासा ​ऋषि का खूब मजाक बनाया.
दुर्वासा ऋषि काफी क्रोधी स्वभाव के थे, तो उन्हें सांब की इस उदंडता पर क्रोध आ गया और उन्होंने उसे कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया. इससे परेशान सांब ने जब पिता श्रीकृष्ण से इस पाप का प्रायश्चित पूछा तो उन्होंने सूर्य उपासना करने के लिए कहा. कहा जाता है कि सांब ने पिता की बात मानकर सूर्य उपासना की, इसके बाद रथ सप्तमी के दिन वो रोगमुक्त हो गया. तब से लोगों के बीच ये मान्यता है कि रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से रोग से मुक्ति मिलती है.
रथ सप्तमी का महत्व
रथ सप्तमी को सूर्य पूजन के अलावा दान-पुण्य के लिहाज से काफी शुभ माना जाता है. इस दिन सूर्य से जुड़ी चीजें जैसे तांबा, गुड़, लाल वस्त्र आदि दान करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन सूर्य की पूजा व व्रत करने से तमाम बीमारियों से मुक्ति मिलती है. कुंडली में सूर्य की स्थिति प्रबल होती है. इसके अलावा नि:संतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है. करियर में आ रहीं बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को तरक्की मिलती है.


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