शुरू हो गया है वैशाख माह, 26 मई तक इन सरल उपाय से कमाए पुण्य
वैशाख माह हिन्दू पंचांग का दूसरा महीना होता है।
वैशाख माह हिन्दू पंचांग का दूसरा महीना होता है। यह महीना 28 अप्रैल से शुरू हो गया है, जो 26 मई को समाप्त होगा। नारद जी के अनुसार, इस माह को ब्रह्मा जी ने सभी माह में श्रेष्ठ बताया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, वैशाख मास में पाप कर्मों से मुक्ति पाने के लिए स्नान-दान का महत्व है। इस मास में कुछ विशेष उपाय करने से जातकों को कई तरह के शुभ फल प्राप्त होते हैं। ये उपाय इस प्रकार है-
राहगीरों को पिलाएं जल
वैशाख माह में राहगीरों और प्यासे लोगों को पानी पिलाना चाहिए। जो व्यक्ति इस माह में प्यासे को जल पिलाता है, उसे सब दानों के समान पुण्य और सब तीर्थों के दर्शन के समान फल प्राप्त होता है। इस पुण्य कार्य के माध्यम से जातक त्रिदेव की कृपा प्राप्त करता है। जो व्यक्ति महात्माओं, थके और प्यासे व्यक्तियों को स्नेह के साथ शीतल जल पिलाता है, उसे उतनी ही मात्रा से दस हजार राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है।
प्याऊ लगवाना
जो व्यक्ति वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगवाता है, वह वैकुंठ लोक प्राप्त करता है। प्याऊ देवताओं, पितरों और ऋषि-मुनियों को अत्यंत प्रिय है। जो प्याऊ लगाकर थके हुए यात्रियों की प्यास बुझाने में उनकी सहायता करता है, उस पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव सहित समस्त देवतागण की कृपा बनी रहती है।
पंखा दान करना
धूप और परिश्रम से पीड़ित ब्राह्मण को जो पंखे से हवाकर शीतलता प्रदान करता है, वह इतने ही मात्र से निष्पाप होकर भगवान का प्रिय हो जाता है। जो राह में थके हुए श्रेष्ठ द्विज को वस्त्र से भी हवा करता है, वह भगवान विष्णु का सामिप्य प्राप्त कर लेता है। जो इस मास में ताड़ का पंखा दान करता है, वह सब पापों का नाश करके ब्रह्मलोक को जाता है।
अन्न दान
अन्न दान मनुष्यों को शीघ्र ही पुण्य प्रदान करने वाला होता है, इसलिए संसार में अन्न के समान दूसरा कोई दान नहीं है। दोपहर में आए हुए ब्राह्मण मेहमान को या भूखे जीव को यदि कोई भोजन करवाए तो उसको अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
पादुका एवं चटाई
शास्त्र कहते हैं कि जो विष्णु प्रिय वैशाख मास में किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पादुका या जूते-चप्पल दान करता है,वह यमदूतों का तिरस्कार करके भगवान श्री हरि के लोक में जाता है। निद्रा से दुःख का नाश होता है,निद्रा से थकावट दूर होती है इसलिए जो मनुष्य तिनके या खजूर आदि के पत्तों से बनी हुई चटाई दान करता है, उसके सारे दुखों का नाश हो जाता है और परलोक में उत्तम गति को पाता है।