आषाढ़ का महीना आज से शुरू, जानिए इसका महत्व

हिंदू धर्म में आषाढ़ मास को धार्मिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

Update: 2021-06-25 09:27 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में आषाढ़ मास को धार्मिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ये साल का चौथा महीना है और इसी महीने से चतुर्मास की शुरुआत होती है. देवशयनी एकादशी से लेकर गुप्त नवरात्रि तक तमाम बड़े त्योहार भी इसी महीने में आते हैं. आज से आषाढ़ का महीना शुरू हो चुका है और ये 24 जुलाई 2021 तक चलेगा. शास्त्रों में आषाढ़ के महीने को कामना पूर्ति करने वाला महीना माना गया है. मान्यता है कि इस दौरान सच्चे मन से जो भी श्री नारायण भगवान की आराधना करता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है.

माना जाता है कि इसी महीने में देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए शयन के लिए चले जाते हैं. भगवान विष्णु के शयन काल के इन चार महीनों को ही चतुर्मास कहा जाता है. चतुर्मास को भगवान विष्णु और शिव की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है. चतुर्मास के बीच धरती के पालनहार का दायित्व महादेव पर होता है. यहां जानिए आषाढ़ के महीने से जुड़ी खास बातें.
क्यों कहते हैं इस महीने को आषाढ़
आषाढ़ मास का संबन्ध पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से है. दरअसल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के बीच रहता है, इसलिए इस मास को आषाढ़ कहा जाता है.
भगवान विष्णु की पूजा का महत्व
आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है. इसके अलावा इस महीने में दान पुण्य का खास महत्व माना गया है. आषाढ़ के महीने में गर्मी और उमस भी बहुत होती है, ऐसे में खड़ाऊं, छाता, पानी से भरा घड़ा, खरबूजा, तरबूज, नमक और आंवले का दान बहुत अच्छा माना जाता है. इसके अलावा सूर्यदेव और जलदेव की उपासना का भी विशेष महत्व है.
चार महीने के लिए बंद हो जाते हैं शुभ कार्य
इसी माह में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी होती है. इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार महीनों के लिए शयन के लिए चले जाते हैं और इसी के साथ सभी तरह के मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं. चार महीने के इस समय को चतुर्मास कहा जाता है. चतुर्मास आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक रहता है.
गुप्त नवरात्रि भी इसी माह में
सालभर में चार नवरात्रि होती हैं जो माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन मास में पड़ती हैं. चैत्र माह की नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और अश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. बाकी की दो नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं जो आषाढ़ और माघ माह में पड़ती हैं. गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक पूजा की जाती है.


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