साल का आखिरी चंद्रग्रहण दिवाली के बाद है, जानें ग्रहण लगने का समय
Chandra Grahan 2021: साल के आखिरी चंद्र ग्रहण को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल नवंबर के महीने में दो बड़े चीजें हो रही हैं, एक तरफ जहां 4 नवबंर को पांच दिवसीय दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा,फिर इसके कुछ दिनो बाद ही साल 2021 का आखिरी चंद्रग्रहण भी लगने वाला है. चंद्र ग्रहण का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व के साथ ही वैज्ञानिक भी महत्व होता है.
धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूर्य हो या चंद्र ग्रहण इसका लगना अशुभ ही माना जाता है. इस साल आखिरी चंद्र ग्रहण इसी महीनेन होने वाला है. आपको बता दें कि चंद्रग्रहण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया, उत्तरी यूरोप और अमेरिका में दिखाई देगा.
हालांकि आपको बता दें कि साल का ये आखिरी चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई नहीं देगा. लेकिन कहा जा रहा है कि असम और अरुणाचल प्रदेश में कुछ पलो के लिए जरूर दिखाई देगा.
चंद्रग्रहण लगने का वक्त
इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नंवबर की सुबह 11 बजकर 34 मिनट से चंद्रग्रहण आरंभ हो जाएगा और यह ग्रहण शाम 5 बजकर 33 मिनट पर इसका समाप्न होगा.
भारत में सूतककाल मान्य नहीं होगा
भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा, जिस कारण से इसका सूतक काल नहीं माना जाएगा. हालांकि ग्रहण के समय सूतक का एक विशेष महत्व शुरू से माना गया है. सूतक को लेकर कई बातें भी बताई गई हैं. कहते हैं कि ग्रहण के वक्त भगवान परेशानी में होते हैं ऐसे में मानसिक पूजा करनी चाहिए. खाने आदि से दूर रहना चाहिए.
सूतक में भगवान का स्मरण और मंत्रों का लगातार जाप करना चाहिए. ग्रहण के समय में गर्भवती महिलाओं को खास रूप से सावधानियां बरतनी होती हैं. साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को लगा था.
इन राशियों पर रहेगा ग्रहण का असर
यह चंद्रग्रहण वृषभ राशि और कृतिका नक्षत्र में लगेगा। ऐसे में वृषभ राशि के जातक सावधानियां बरतनी होगी. इसके अलावा मेष, कन्या, तुला और धनु राशि पर भी चंद्र ग्रहण का प्रभाव रहेगा.
चंद्र ग्रहण की पौराणिक कथा
समुद्र मंथन के दौरान स्वर्भानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की थी. जब वह राक्षस देवता की तरफ बैठकर अमृत पी रहा था तब चंद्रमा और सूर्य की इस पर नजर पड़ गई थी. इसके बारे में इन दोनों ने भगवान विष्णु को इस बारे में जानकारी दी. जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया. हालांकि तब तक अमृत की कुछ बंदू गले से नीचे उतरने के कारण ये दो हिस्सों हो कर दो दैत्य बन गए और अमर हो गए. सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु के नाम से जाना गया.राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं, जिस कारण से चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण होता है.