घर के मुखिया को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान, वरना...

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Update: 2022-03-16 14:28 GMT

नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य कुशाग्र बुद्धि के श्रेष्ठ विद्वान और महान विभूति थे। ये कूटनीति और राजनीति में कुशल होने के साथ ही अर्थशास्त्र के प्रकांड पंडित थे। इसी कारण ये विष्णु गुप्त और कौटिल्य के नाम से भी विख्यात थे। ये मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे। इन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और नीतियों के बल पर ही इतिहास की धारा को बदल कर रख दिया था। विपरीत से विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बाद भी इन्होंने हार नहीं मानी और अपना धैर्य बनाए रखा। अपने धैर्य और बुद्धि से ही इन्होंने अपने शत्रु घनानंद का नाश करके चंद्रगुप्त को गद्दी पर बिठाया। इनके द्वारा कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए। अपने जीवन के अनुभव और गहन अध्ययन को इन्होंने मानव हित के लिए निस्वार्थ भाव ग्रंथों के रुप में पिरोया है। इन्हीं में से नीतिशास्त्र की बातें मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहुलुओं पर प्रकाश डालती हैं। यही कारण है कि नीतिशास्त्र की बातें आज भी लोगों के बीच प्रासंगिक हैं। नीति शास्त्र में निजी जीवन से लेकर आर्थिक और सामाजिक जीवन तक महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में जीवन की बहुत सी समस्याओं का हल बताया है। साथ ही उन्होंने उन नीतियों का जिक्र भी किया है जो मनुष्य को सुखद जीवन जीने में मदद कर सकती हैं। चाणक्य नीतियों का पालन करने वाले व्यक्ति के लिए जीवन की कठिनाइयों को पार करना आसान हो जाता है। इसी नीति शास्त्र में चाणक्य ने घर के मुखिया के लिए कुछ ऐसी बातों का वर्णन किया है जो उसे कभी नहीं भूलनी चाहिए। आइए जानते हैं क्या हैं वो बातें-

आचार्य चाणक्य के अनुसार परिवार के मुखिया को हमेशा फिजूलखर्ची से बचना चाहिए। चाणक्य नीति कहती है कि एक परिवार का मुखिया हमेशा अपने बच्चों के भविष्य की चिंता करके चलता है। इसलिए अपने बच्चों के भविष्य के लिए घर के मुखिया को बचत करने और उनकी जरूरत पूरी करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य के अनुसार परिवार के मुखिया को परिवार के सदस्यों से बात करनी चाहिए। यदि परिवार में कोई समस्या है तो परिवार के मुखिया का कर्तव्य है कि वो परिवार के हर सदस्य की समस्या को सुनकर उसका हल निकालने का प्रयास करे। इसलिए परिवार के मुखिया को घर के सदस्यों को अपना समय देना चाहिए ताकि उनसे आप हर मुद्दे पर खुलकर बात कर सके।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि घर के मुखिया को कभी भी अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए। चाणक्य नीति के अनुसार बच्चे उसी चीज का अनुसरण करते हैं जैसा वह अपने बड़ों को करते देखते हैं। अगर बच्चे आपको ऐसा करते देखेंगे तो वे भी अन्न का अपमान करने लगेंगे जिससे घर से सुख-समृद्धि दूर हो जाएगी।
आचार्य चाणक्य के अनुसार घर के मुखिया को अपने भाई-बंधुओं से अच्छे संबंध बनाए रखने चाहिए। यदि परिवार केमुख्य सदस्य के ही अपने भाई से अच्छे संबंध नहीं होंगे तो बाहर वाले लोग घर में सेंध लगा लेंगे और पूरे परिवार में तनाव का माहौल बन जाएगा। इसलिए अपने छोटे भाई बहनों को समझने का प्रयास करें, उनकी गलतियों पर उन्हें डांटे जरूर लेकिन उनसे मुंह न मोड़ें। इससे आप पूरे घर को एक डोर में बांधे रख सकेंगे।
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