हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन इन सभी में एकादशी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित होता है। इस दौरान भक्त जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की अपार कृपा बरसाती है। लेकिन इन सभी में परिवर्तनी एकादशी को विशेष बताया गया है।
जो कि हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। परिवर्तनी एकादशी को पद्मा या जलझूलनी एकादशी के नाम से जाना जाता है इस पावन दिन भगवान विष्णु निद्रायोग से करवट लेते है। मान्यता है कि विष्णु जी करवट लेते वक्त प्रसन्न मुद्रा में होते है ऐसे में इस अवधि में भक्ति सभाव और विनयपूर्वक पूजा पाठ करने से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है इस दिन भगवान के वामन अवतार की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। तो आज हम आपको बता रहे हैं परिवर्तनी एकादशी की तिथि और पूजा विधि बता रहे हैं।
परिवर्तनी एकादशी की तिथि और विधि—
इस साल परिवर्तनी एकादशी का व्रत 25 सितंबर को रखा जाएगा। ऐसे में इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद भगवान विष्णु के वामन अवतार का ध्यान करते हुए भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं। फिर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद कुमकुम अक्षत लगाकर व्रत कथा सुनें और दीपक से आरती उतारें। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं और सभी में प्रसाद बांटे। इस दिन तुलसी की माला से ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’’ अगर इस मंत्र का जाप किया जाए तो भगवान की कृपा शीघ्र बरसाती है।