सुबह और शाम के पूजा में इन बातों का रखें विशेष ध्यान
भगवान को प्रसन्न करने के लिए पाठ-पूजा अवश्य करना चाहिएं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुबह के समय दैवीय शक्तियां बलवान होती हैं और शाम के समय आसुरी। भगवान को प्रसन्न करने के लिए सुबह पाठ-पूजा अवश्य करना चाहिएं। आसुरी शक्तियों के प्रभाव को खत्म करने के लिए सूर्य ढलने के बाद देव उपासना करनी चाहिए। अत: सुबह और शाम दोनों समय की गई प्रार्थना का अपना-अपना महत्व है।
शाम के समय पूजा में इन बातों का रखें ध्यान:
# तुलसी के पत्ते और गंगाजल कभी बासी नहीं होते। इसके अतिरिक्त किसी भी बासी सामग्री को उपयोग न करें।
# सूर्यास्त के उपरांत देवी-देवता विश्राम के लिए चले जाते हैं, शंख और घंटियां न बजाएं।
# सूर्य ढलने के बाद वनस्पति से छेड़-छाड़ नहीं करनी चाहिए। अत: पूजा के लिए जो भी फल-फूल और पत्ते चाहिए हों वह दिन के समय ही तोड़ कर रख लें।
# श्री हरि विष्णु और उनके किसी भी अवतार को तुलसी पत्र अर्पित किए बिना भोग नहीं लगता। भगवान उसे ग्रहण नहीं करते।
# भोर फटते ही सूर्य देवता अपना प्रकाश चारों ओर बिना किसी भेद-भाव के फैलाते हैं। दिन के समय इनकी पूजा करें रात को नहीं।
# रात को सोने से पहले मंदिर के आगे पर्दा करें ताकि भगवान के विश्राम में बाधा उत्पन्न न हो। मंदिर के कपाट एक बार बंद कर दें तो सुबह भोर फटते ही खोलें।