सूर्यदेव का कर्क राशि में गोचर जल्द, राशियां होंगे प्रभावित, जानें इससे जुड़ी खास बातें

सूर्यदेव 16 जुलाई को बुध की राशि मिथुन से निकल कर चंद्रमा की राशि कर्क में गोचर करेंगे।

Update: 2021-07-13 09:11 GMT

सूर्यदेव 16 जुलाई को बुध की राशि मिथुन से निकल कर चंद्रमा की राशि कर्क में गोचर करेंगे। मित्र की राशि में होने के का कारण सूर्य ज्यादातर राशियों के लिए शुभ फल देने वाला होगा। सूर्य के गोचर का प्रभाव राजनीति, बिजनस और जीवन अन्य क्षेत्रों में देखने को मिलेगा। सूर्य गोचर का अर्थ है कि सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते इसलिए सूर्य के गोचर का ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है। सूर्य के गोचर के दौरान किस व्यक्ति को कैसा फल मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति की कुंडली या राशि में सूर्य किस भाव में संचरण कर रहे हैं। क्योंकि सभी 12 भाव में सूर्य को गोचर का फल अलग-अलग होता है। आइए जानते हैं सूर्य के गोचर से जुड़ी इन खास बातों के बारे में…

इस दिन हो रहा है सूर्य का गोचर
साल 2021 के जुलाई महीने में सूर्य का गोचर 16 जुलाई दिन शुक्रवार को शाम में 04 बजकर 41 मिनट पर चंद्रमा की राशि कर्क में होगा। सूर्य इस राशि में 17 अगस्त 2021 दिन मंगलवार को सुबह 01 बजकर 05 मिनट तक रहेंगे। इसके बाद सूर्य अपनी राशि सिंह में गोचर कर जाएंगे। ऐसे में आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि सूर्य का गोचर इतना खास क्यों होता है और ज्योतिषशास्त्र में सूर्य ग्रह का महत्व क्या है।
गोचर होने पर करते हैं राशियों को प्रभावित
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रह को ग्रहों का राजा बताया गया है। जब सूर्य गोचर करते हैं अर्थात राशि परिवर्तन करते हैं तब इसे सूर्य संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जैसे सूर्य अब कर्क राशि में गोचर कर रहे हैं तो इसके कर्क संक्रांति के नाम से भी जाना जाएगा। सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक रहते हैं और इसके बाद राशि परिवर्तन कर जाते हैं। इस तरह वह सभी 12 राशियों के अलग-अलग भाव में होकर उनको प्रभावित करते हैं। सभी 12 राशियों में सूर्य का आधिपत्य केवल सिंह राशि पर है। वहीं 27 नक्षत्रों में सूर्य उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी हैं। सूर्य अत्यंत तेजस्वी ग्रह होकर आत्मा का कारक भी है।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का महत्व
सूर्य मेष राशि में उच्च होते हैं और तुला राशि में नीच होते हैं। सूर्य के चंद्रमा, मंगल व देवताओ के गुरु बृहस्पति के साथ अच्छे संबंध यानी मित्र ग्रह हैं वहीं बुध से सम्यता के संबंध हैं और शनि व शुक्र ग्रह से इनके शत्रुवत संबंध हैं। सूर्य शुभ ग्रह अर्थात गुरु, शुक्र और चंद्रमा के साथ युति होने पर शुभ फल देते हैं और क्रूर ग्रह यानी कि शनि, मंगल, केतु व राहु के साथ युति होने पर अशुभ फल देते हैं। सूर्य की राशि सिंह की मित्र राशि मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु व मीन हैं। वहीं वृष, तुला, मकर व कुंभ राशि से शत्रुवत संबंध हैं।
कुंडली में सूर्य मजबूत हों तो
सूर्य अगर व्यक्ति की कुंडली में मजबूत स्थिति में है तो उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और जीवन में सुख-शांति के साथ समृद्धि भी आती है। साथ ही पिता के साथ संबंध मजबूत होते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कार्य बनने लग जाते हैं। जो व्यक्ति रोजगार की तलाश कर रहा होता है, उसे सरकारी नौकरी प्राप्त हो जाती है और राजनीतिक जीवन में भी सफलता मिलती है। सूर्य के प्रभाव से मान-सम्मान में वृद्धि होती है और हर रोग से मुक्ति मिलती है। चूंकि सूर्य उच्च पद का कारक ग्रह है इसलिए जिस पर सूर्य देव की कृपा होती है उसे हर क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त होता है।
कुंडली में सूर्य कमजोर हों तो
सूर्य अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कमजोर स्थिति में हो तो उसे कार्यक्षेत्र के साथ-साथ जीवन में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं शारीरिक रोग-दोष का सामना करना पड़ता है और हार्ट व नेत्र से संबंधित परेशानियां लगी रहती है। साथ ही कई झूठे आरोपों का भी सामना करना पड़ता है और मान-सम्मान में भी कमी आती है। पिता के साथ संबंध अच्छे नहीं रहते और धन की हानि लगातार बनी रहती है। सूर्य के अशुभ प्रभाव से कुंडली में पितृ दोष भी लगता है।
सूर्य ग्रह के उपाय
कुंडली में सूर्य ग्रह को मजबूत बनाने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं…
1- रविवार का व्रत करें और खाने में नमक का प्रयोग न करें और गाय की सेवा करें।
2- किसी तालाब पर जाकर मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। ध्यान रखें कि आटे की गोलियों में थोड़ी शक्कर जरूर मिला लें।
3- हर दिन सूर्य को जल अर्पित करें और आदित्य हृदय स्तोत्र और हरिवंश पुराण का पाठ करें। साथ ही किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करें और गरीबों की सहायता करें, ऐसा करने से सूर्य मजबूत होते हैं।
4- पिता का सम्मान करें और सूर्य से संबंधित चीजों का दान करें। इस बात का ध्यान रखें कि अन्न व जल दान करने के बाद ही ग्रहण करें।
सूर्य देव के मंत्र
कुंडली में सूर्य को मजबूत बनाने के लिए हर रोज आप इन मंत्रों का भी जप कर सकते हैं…
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर।।
ओम घृणि सूर्याय नमः
ओम ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते अनुकंपयेमां भक्त्या गृहाणार्घय दिवाकर
ओम ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ओम
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