सफलता और हार: इसे अपने जीवन के दिनचर्या में अपनायें, कभी नहीं होगी परेशानी

सफल जीवन के लिए समता, संतुलन और सहिष्णुता का अभ्यास जरूरी है।

Update: 2021-01-15 14:28 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  सफल जीवन के लिए समता, संतुलन और सहिष्णुता का अभ्यास जरूरी है। इनके बिना किसी का भविष्य उज्ज्वल नहीं हो सकता। जीवन की रक्षा के लिए भी इनकी जरूरत है। बायॉलजी के अनुसार जीव-जंतुओं की वे ही प्रजातियां अपना अस्तित्व सुरक्षित रख सकती हैं जिनमें हर परिस्थिति और चुनौती को झेलने की क्षमता और समता होती है।

सर्वाइवल ऑफ दि फिटेस्ट', डार्विन के इस सिद्धांत का भी यही तात्पर्य है। सफल लोगों को गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि वे देर तक किसी बात पर अटकते नहीं। क्या मिला, क्या नहीं हमेशा इसकी शिकायत नहीं करते, संतुलित और समतामय बनकर सीखते रहते हैं। अपने लक्ष्य को नहीं भूलते। दूसरों की सुनते हैं, पर उनके डर को खुद पर हावी नहीं होने देते। अच्छी बात यह है कि हम मनुष्यों में ही यह क्षमता है कि हम अपनी कमियों को देख सकते हैं। उन्हें सुधार सकते हैं। इसलिए अर्श से फर्श पर गिरने के बाद भी फिर से संभल जाते हैं।

महान चिंतक खलील जिब्रान का कहना है, 'हम जब प्रकृति की शीतल छांव में बैठकर हरियाली और शांति को महसूस करें, तब अपने दिल को चुपके से कहने दें, प्रभु विवेक में बसते हैं। और जब बारिश और तूफान हमें हिला रहे हों तो कहें, प्रभु जोश में बढ़ते हैं। आप भी विवेक के साथ आराम करिए और जुनून के साथ आगे बढ़ते रहिए।' हर व्यक्ति को अपने जीवन में कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करना होता है। यह एक सार्वभौम नियम है। इसमें किसी का अपवाद नहीं है। समय और परिस्थिति के अनुसार समस्याओं का रूपांतरण होता रहता है, पर जिंदगी के साथ उनका अटल संबंध है। वे पहले भी थी, आज भी हैं और आगे भी रहेंगी।

जो सहिष्णुता का कवच धारण कर लेते हैं उनके लिए समस्याएं भी समाधान बन जाती हैं, जो प्रगति के बाधक तत्व हैं, वे भी साधक और सहयोगी बन जाते हैं। जो सुविधाएं सहज रूप से सुलभ हैं उनका उपयोग करने में कठिनाई नहीं है। पर उन्हें दिमाग पर हावी नहीं होने देना चाहिए। जिनकी मनोवृत्ति सुविधावादी हो जाती है उनके लिए छोटी-सी प्रतिकूलता को सहना कठिन हो जाता है। कहते हैं कि आपका काम, रबर की गेंद है, जिस पर जितना जोर देते हैं, वह उतना ऊंचा उठता है। पर आपका परिवार, दोस्त, सेहत और व्यवसाय कांच की गेंदें हैं, जो हाथ से छूटती हैं तो टूट ही जाती हैं। इसलिए जब सफलता करीब आ रही हो तो पूरी मेहनत से जुटे रहें, संतुलित रहे। बड़ाई मिले या बुराई, उसे सिर चढ़ाने के बजाय समतामय, सहिष्णु, शांत और शालीन बनें। सफलता दिमाग पर हावी न हो और हार दिल पर।

जीवन में ऊंचाई और गहराई का समन्वय आवश्यक है। हर व्यक्ति के मन में ऊंचाई पर पहुंचने का आकर्षण है, पर गहराई के बिना ऊंचाई भी वरदान नहीं होकर अभिशाप सिद्ध होती है। भारत की जीवनशैली में जो परिपक्वता है, स्थिरता है, यह ऊंचाई और गहराई के समन्वय का परिणाम है। किताब 'इगो इज एनिमी' में लेखक रेयान हॉलिडे लिखते हैं, 'अहंकार सफलता और संतुष्टि दोनों का दुश्मन है। इस पर कड़ी नजर बनाए रखना जरूरी है।' जीवन में गति और ठहराव के साथ कुछ रहस्यों की गुंजाइश भी रखनी चाहिए। इसके लिए हमें जोश भी चाहिए और होश भी। ना होश से घबराएं और ना ही जोश से उछल जाएं।


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