Somvati Amavasya: पितृ दोष, श्राद्ध या किसी भी अनसुलझे पारिवारिक मामलों के समाधान के लिए सोमवती अमावस्या महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। सोमवती अमावस्या का दिन धर्म, परिवार और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह न केवल पितरों की शांति और घर की सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह हमें अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने एवं आत्मा की शांति की दिशा में कदम बढ़ाने का भी अवसर प्रदान करता है।
उपवास और व्रत: इस दिन व्रत करने वाले दिन भर उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। सोमवार को अमावस्या होने के कारण विशेष पूजा विधियों और व्रत नियमों का पालन किया जाता है।
दान-पुण्य: सोमवती अमावस्या पर दान-पुण्य और गरीबों की सहायता करने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों को शांति मिलती है।
उपवास और साधना: इस दिन उपवास करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह दिन ध्यान और साधना के लिए भी आदर्श माना जाता है।
पूजा विधि
स्नान और शुद्धता: सुबह उठकर सबसे पहले स्नान कर शुद्धता प्राप्त करें।
मंत्र जाप: घर के पूजा स्थल पर भगवान शिव और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। यह मंत्र विशेष रूप से लाभकारी हैं।
ॐ महादेवाय नमः
ॐ श्री लक्ष्मयै नमः
अर्चना: भगवान शिव और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करें, उन्हें पुष्प, दीपक और दूध से बनी मिठाई अर्पित करें।
पितरों के लिए श्राद्ध: यदि परिवार में कोई विशेष पितृ दोष है तो इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध का आयोजन करें