कहीं आप भी इस तरह तो नहीं खाते खाना, वरना हो जाएंगे कंगाल

सनातन धर्म में जीवन जीने से जुड़े कई नियम और परंपराएं बताई गई हैं. सदियां गुजर गई हैं लेकिन करोड़ों लोग आज भी नियमों-परंपराओं का पालन कर रहे हैं. इसकी वजह ये है

Update: 2022-11-08 03:09 GMT

सनातन धर्म में जीवन जीने से जुड़े कई नियम और परंपराएं बताई गई हैं. सदियां गुजर गई हैं लेकिन करोड़ों लोग आज भी नियमों-परंपराओं का पालन कर रहे हैं. इसकी वजह ये है कि इतना लंबा अरसा गुजर जाने के बावजूद ये नियम आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं और लोगों का मार्गदर्शन कर रही हैं. आज हम भोजन करने से जुड़े ऐसे ही 5 नियमों के बारे में बताते हैं. कहा जाता है कि जो लोग भोजन से जुड़े इन नियमों (Bhojan Karne Ke Niyam) का पालन नहीं करते, उन्हें दरिद्र होने में ज्यादा देर नहीं लगती.

एक साथ 3 रोटियां नहीं लेनी चाहिए

सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य में 3 नंबर को अशुभ माना गया है. कहा जाता है कि भोजन (Bhojan Karne Ke Niyam) करना भी ऐसा ही एक शुभ कार्य है. इसलिए आप जब किसी को भोजन परोस रहे हों तो उसे एकदम से 3 रोटी न दें बल्कि उसे 2 या 4 रोटी दें. ऐसा करने से वह भोजन शरीर में लगता है और सेहत सही रहती है, जिससे डॉक्टर का खर्चा बच जाता है.

भोजन की थाली में कभी हाथ ना धोएं

शास्त्रों के अनुसार भोजन (Bhojan Karne Ke Niyam) करने के बाद थाली में कभी भी हाथ नहीं धोने चाहिए. इसे शिष्टाचार के खिलाफ माना जाता है और गंदगी भी फैलती है. कहा जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी और अन्नपूर्णा नाराज हो जाती है. जिससे मनुष्य के बुरे दिन शुरू हो जाते हैं और वह धीरे-धीरे पतन की ओर चल पड़ता है.

सबसे पहले करें भोजन मंत्र का उच्चारण

पुराणों में कहा गया है कि जब भी आप भोजन (Bhojan Karne Ke Niyam) करना शुरू करें तो सबसे पहले भोजन मंत्र का उच्चारण करें. ऐसा करने से वह भोजन हमारे शरीर में लगता है और हम सेहतमंद बनते हैं. इसलिए जब भी आप भोजन करने बैठें तो ईश्वर का आभार जताना न भूलें, जिनके आशीर्वाद की वजह से ही आपको जीवन जीने के लिए भोजन मिल पा रहा है.

भोजन की थाली में खाना नहीं छोड़ना चाहिए

सनातन धर्म में भोजन बर्बाद करने को गलत बताया गया है. विद्वानों का कहना है कि पेट को जितनी भूख हो, मनुष्य को उतना ही भोजन अपनी थाली में डलवाना चाहिए. जरूरत से ज्यादा भोजन डलवाने और बाद में न खाने से वह खराब हो जाता है, जिससे अन्न का अनादर होता है. ऐसे लोगों को मां अन्नपूर्णा का कोप झेलना पड़ता है.

जमीन पर बैठकर करें भोजन

शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य को हमेशा जमीन पर बैठकर भोजन (Bhojan Karne Ke Niyam) करना चाहिए. ऐसा करने से धरती मां की सकारात्मक तरंगें पैरों के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करती हैं, जिससे शरीर सेहतमंद और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनता है. इसका असर हमारे जीवन में भी देखना पड़ता है.


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