Skanda Sashti Vrat : सावन में करें स्कंद षष्ठी व्रत, पूजा से रोग, दुख और पापों का होगा नाश

हिंदी पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी का व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर मनाया जाता है।

Update: 2021-07-27 14:44 GMT

photo : Skanda Sashti

Sawan 2021 Skanda Sashti Vrat : हिंदी पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी का व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर मनाया जाता है। इस दिन शिव पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। सावन माह में यह पूजा बहुत ही विशेष हो जाती है। क्योंकि इसी माह के प्रत्येक सोमवार भगवान शिव और मंगलवार को माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। सावन में माह में स्कंद षष्ठी व्रत पुण्य दुगना हो जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से घर में सुख, शांति, मान-सम्मान और समृद्धि का आगमन होता है। भगवान कार्तिकेय अपने भक्तों पर आने वाले सभी कष्टों को दूर करते हैं।

स्कंद षष्ठी पूजा विधि
प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर साफ सुथरे कपड़े पहनें। तदश्चात हाथ में जल लेकर स्कंद षष्ठी व्रत का संकल्प करें। भगवान कार्तिकेय के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करना चाहिए। उसके बाद सबस पहले शिव और पार्वती की पूजा करें। उसके बाद भगवान कार्तिकेय की धूप, दीप, फूल, अक्षत, गंध, फल आदि से विधिपूर्वक पूजन करें। इसके बाद भगवान कार्तिकेय की स्तुति करते हुए उनके मंत्रों का जाप करें। सबसे अंत में भगवान कार्तिकेय के साथ शिव और पार्वती की आरती करें। घर में सुख शांति की कामना करने के बाद सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।
स्कंद षष्ठी पूजा के लाभ
भगवान कार्तिकेय की पूजा से व्यक्ति के पापों का नाश होता है। स्कंद षष्ठी व्रत रखने से बच्चों के स्वास्थ्य सही रहते हैं। इस व्रत को संतान षष्ठी के नास से भी जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय के आशीर्वाद से मान-सम्मान, प्राण-प्रतिष्ठा, यश और वैभव की प्राप्ति होती है। कार्तिकेय की पूजा से रोग, दुख, पाप आदि का नाश होता है। भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना से फलदायी लाभ मिलता है।
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