21 मई को मनाई जाएगी सीता नवमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता प्राकट्य हुई थीं

Update: 2021-05-18 07:05 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता प्राकट्य हुई थीं. इसलिए इस दिन को सीता नवमी (Sita Navami) और जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार सीता नवमी 21 मई 2021 को मनाई जाएगी. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इसके साथ ही घर में सुख- शांति बनी रहती है. इस खास दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं जानकी जयंती के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.

सीता नवमी का शुभ मुहूर्त
सीता नवमी की शुरुआत – 20 मई 2021 को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से
सीता नवमी का समापन – 21 मई 11 बजकर10 मिनट पर होगा.
सीता नवमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. मान्यता है कि देवी सीता माता लक्ष्मी का अवतार हैं. देवी सीता को पति के धैर्य और समर्पण के लिए जानी जाती हैं इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने से तीर्थयात्राओं और दान- पुण्य का फल मिलता है.
सीता नवमी के दिन इस तरह रखें व्रत
सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
इसके बाद घर के मंदिर में विधि- विधान से पूजा अर्चना करें.
घर में गंगाजल है तो देवी- देवताओं को स्नान करने के लिए जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाएं.
इसके बाद भगवान राम और माता सीता की पूजा अर्चना करें.
शाम के समय में भगवान राम और माता सीता को भोग लगाएं.
माता सीता का जन्म कथा
वाल्मिकी रामायण के अनुसार, एक बार मिथिला में भयंकर सूखे से राजा जनक बहुत परेशान थे. तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए ऋषियों ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया. ऋषि के आदेश के अनुसार, राजा जनक ने यज्ञ करवाया और धरती पर हल जोतने लगे और इस दौरान उन्हें एक सुंदर कन्या मिली. राजा जनक की कोई संतान नहीं थी और उस कन्या को हाथों में उठाते ही उन्हें पिता प्रेम की अभिभूत हुई. उन्होंने उस बच्ची को सीता नाम दिया और अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया.


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