बहनें भूलकर भी भाई की कलाई पर न बांधें इस तरह की राखी

पंचांग के अनुसार, हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।

Update: 2022-08-08 11:17 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।    पंचांग के अनुसार, हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। इस बार रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त और 12 अगस्त को सुबह तक को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन वाले दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर प्यार का धागा बांधती हैं और लंबी उम्र और अच्छी सेहत की कामना करती है।

आज के समय में बाजार में विभिन्न तरह की राखियां मिलने लगती है। लेकिन शास्त्रों में राखी को लेकर कुछ बातें बताई गई है जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जानिए बहनें भाई की राखी खरीदते या बांधते समय किन बातों का रखें ख्याल।
न खरीदें ऐसी राखी
भाई के लिए राखी खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें किसी भी तरह का अशुभ प्रतीक चिन्ह न हो। ऐसी राखी बांधने से अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।
राखी में न हो भगवानों की तस्वीर
राखी में देवी-देवता की तस्वीर नहीं होनी चाहिए। क्योंकि हर समय भाई की कलाई में ये राखी बंधी रहती है जो कई बार अपवित्र भी हो जाती है या फिर कहीं भी खुलकर गिर जाती है। ऐसे में भगवान का अपमान होता है।
खंडित राखी ना बांधें
राखी खरीदते समय बहनें इस बात का जरूर ध्यान रखें कि जल्दबाजी में कभी भी ऐसी राखी न खरीदें जो टूटी हुई या फिर खंडित हो। अगर राखी का धागा भी अलग हो गया है तो उसे न खरीदें ऐसी राखियां अशुभ मानी जाती हैं।
काले रंग की राखी न बांधें
भाई को कभी भी काले रंग का राखी न बांधें। क्योंकि यह अशुभ रंग माना जाता है। इस रंग की राखी बांधने से नकारात्मकता बढ़ती है। इसलिए इस रंग की राखी बिल्कुल भी न बांधें।
सिर को न रखें खाली
भाई को राखी बांधते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसके सिर में कोई रूमाल या कपड़ा डाल दें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
पुरानी राखी ऐसे न फेंके
आमतौर पर रक्षाबंधन आने तक अधिकतर भाई पुरानी राखी को बांधें रहते हैं। बहनें नई राखी बांधते से पहले इन्हें खोलकर कूड़े में फेंक देती है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि राखी शुभ चीज होती है। इसे भी पूजा सामग्री की तरह की किसी नदी या फिर बहते जल में ही प्रवाहित करना चाहिए।
राखी बांधते समय भाई को ऐसे बैठाएं
राखी बांधते समय भी को जमीन में न बैठाएं बल्कि किसी ऊंचे स्थान में बैठाएं।
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