दुर्गा मां की पूजा करते समय गाएं ये आरती

नवरात्रि का पावन त्यौहार शुरू हो गया है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नवरात्रि पर मां की विधिवत् पूजा करता है उस पर मां की कृपा हमेशा बनी रहती है।

Update: 2020-10-18 05:27 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नवरात्रि का पावन त्यौहार शुरू हो गया है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नवरात्रि पर मां की विधिवत् पूजा करता है उस पर मां की कृपा हमेशा बनी रहती है। मां अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनके सभी दुख हर लेती हैं। नवरात्रि के हर दिन मां के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान दुर्गा मां की आरती गाना बेहद जरूरी है।

मां की आरती करते समय कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है। पूजा की थाल में कपूर या फिर गाय के घी का दीपक जलाएं। मां की आरती करते हुए ही भी जरूर बजाएं। आरती गाएं। साथ ही आरती के साथ शंख और घंटी अवश्य बजाएं। अगर आरती के दौरान शंघनाद और घंटी बजाई जाएं तो उनकी ध्वनि से घर के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा का खात्मा हो जाता है। नवरात्रि में हर दिन सुबह मां की पूजा करते समय मां की आरती नियम पूर्वक अवश्य करें।

दुर्गा जी की आरती:

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,...।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,...।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी,...।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी,...।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी,...।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी,...।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी,...।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी,...।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी,...।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी,...।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी,...।

 

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