भगवान विष्णु धारण करते शंख तो जान लें ये नियम,

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पूजा-पाठ करने से भगवान बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. इसलिए लोग रोजाना सुबह और शाम को भगवान की पूजा करते हैं

Update: 2021-12-22 10:55 GMT


जनता से रिश्ता वेबडेस्क |   धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पूजा-पाठ करने से भगवान बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. इसलिए लोग रोजाना सुबह और शाम को भगवान की पूजा करते हैं. भक्त पूजा के दौरान फूल, फल, अक्षत, जल, तिल, धूप, दीप आदि का इस्तेमाल करते हैं. पूजा के बाद आरती के दौरान घंटी बजाकर भगवान का आवाहन किया जाता है. आरती का बाद शंख बजाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजा घर में या पूजा करने के बाद शंख क्यों बजाया जाता है. यदि नहीं, तो इसे जानते हैं इस बारे में.
14 रत्नों में से एक रत्न है शंख
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक समुद्र मंथन के वक्त 14 रत्न मिले, जिसमें एक रत्न रत्न भी शंख है. मान्यता है कि धन की देवी लक्ष्मी के साथ-साथ शंख की भी उत्पत्ति हुई. इसलिए माना जाता है कि शंख मां लक्ष्मी के साथ होता है. कहते हैं कि जिस जगह पर शंख रहता है, वहां माता लक्ष्मी भी वास होता है. इसलिए पूजा घर में शंख रखने की परंपरा है. वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक शंख बजने से वातावरण की निगेटिव एनर्जी खत्म हो जाती है. इसके अलावा बुरी शक्तियां भी नष्ट हो जाती हैं.
नकारात्मक ऊर्जा को करता है नष्ट
ज्योतिष के जानकार और पंडितों के अनुसार घर में यदि शंख है तो उसमें हमेशा पानी से भरकर रखना चाहिए. साथ ही शंख में भरे जल को अगले दिन सभी घरों में छिड़कना चाहिए. इसके निगेटिव एनर्जी दूर भागती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता है. इसके अलावा घर में दक्षिणावर्ती शंख रखना बहुत शुभ होता है.
भगवान विष्णु को प्रिय है शंख
शंख को भगवान विष्णु सहित दूसरे देवी-देवता ने धारण किया है. इसके अलावा शंख भगवान नारायण को बहुत प्रिय भी है. इसलिए कहीं भी भगवान विष्णु की पूजा में शंख जरूर बजाया जाता है. साथ ही साथ श्री सत्यनारायण की कथा में हर अध्याय के बाद शंख बजाया जाता है.


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